यमुनानगर: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वो याद बनकर हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी. ऐसी ही एक याद सुषमा स्वराज की कटासराज मंदिर से जुड़ी है. वही भगवान शिव का प्राचीन मंदिर जो भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से में आ गया था.
कहते हैं कि इसी मंदिर में यक्ष-युधिष्ठिर संवाद हुआ था, यहीं देवी सती की अग्नि समाधि के बाद भगवान शिव के आंसू गिरे थे और विश्व प्रसिद्ध रोमां संगीत की उत्पत्ति का क्षेत्र भी इसे ही माना जाता है. इसी प्राचीन मंदिर में दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 1999 में अपना जन्मदिन मनाया था और उस दिन शिवरात्री भी थी.
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1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत-पाक के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए बस लेकर लाहौर गए थे. इस यात्रा को सफल बनाने में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का भी योगदान था.
यमुनानगर की केंद्रीय सनातन धर्म सभा पाकिस्तान में हिंदू तीर्थ स्थल कटासराज में 22 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर गई थी. इसमें सुषमा स्वराज, मीरा कुमार, बलराम जाखड़, राज्यसभा सदस्य लाजपतराय और मणिशंकर अय्यर जैसे बड़े नेता भी शामिल थे.
कटासराज की दशा देख हुई थीं दुखी
सुषमा स्वराज जब कटासराज यात्रा से लौंटी तो वो मंदिर की दशा ठीक करने का मन बना चुकी थीं. बाद में जब वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री बनीं तो उन्होंने 'धरती का दूसरा नेत्र' के नाम से प्रसिद्ध कटासराज के लिए बहुत से विकास कार्य किए.