यमुनानगर: कई दशकों से लेबर काॅलोनी में बड़ी संख्या में लोगों ने अवैध रूप से अपने घरों के आगे पड़ी सरकारी जमीन पर दुकानें बना रखी हैं. ये खुलासा आरटीआई रिपोर्ट (Rti on illegal shop in Yamunanagar) में हुआ है. आरटीआई कार्यकर्ता वीरेंद्र सपरा ने बताया की काॅलोनी में 1989 में लोगों को मकान बनाने के लिए जमीनें अलाॅट की गई थी जिनके आगे सरकारी जमीन पड़ी थी. लोगों ने धीरे धीर इन जमीनों पर कब्जा कर लिया और दुकानें बना ली. कई दशकों से लोग यहां दुकानें जमाए और प्रशासन आंख मुंद कर बैठा है. आरटीआई के खुलासे के बाद नगर निगम नींद (Municipal Corporation Yamunanagar) से जागा तो दुकानदारों को नोटिस धमाए गए.
यमुनानगर की लेबर कॉलोनी में बनी अवैध दुकानें, नगर निगम की कारवाई के विरोध में दुकानदार पहुंचे कोर्ट, आरटीआई में हुआ था खुलासा
यमुनानगर की लेबर काॅलोनी में अवैध दुकानें बनी (illegal shop in Yamunanagar) हुई हैं जिसका खुलासा आरटीआई में हुआ है. खुलासे के बाद निगम ने दुकानदारों को अवैध निर्माण गिराने के नोटिस भेजे थे लेकिन दुकानदार कोर्ट पहुंच गए. कोर्ट में मामला पहुंचने के चलते निगम का एक्शन ढीला हो गया है.
वहीं दुकानदारों का कहना है की वो 1947-50 से यहां पर बैठे हैं. उन्होंने बताया की जमीनें उन्हें मकान बनाने के लिए अलाॅट की गई थी. लेकिन वो इस बात का जवाब नहीं दे पाए की जिस जमीन पर उनकी दुकानें बनी हैं उनकी रजिस्ट्री उनके पास है या नहीं. दुकानदारों ने ये भी कहा की अगर सरकार कलेक्टर रेट के हिसाब से रूपए लेना चाहती है तो वो देने के लिए तैयार हैं. दुकानदारों ने आरटीआई कार्यकर्ता पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है की आरटीआई कार्यकर्ता उनसे रूपए ऐंठने के लिए आरटीआई लगाता रहता है.
आरटीआई खुलासे के बाद नगर निगम के अधिकारी दो बार दुकानदारों को नोटिस थमा चुके हैं. डीटीपी रवि ऑबराय ने बताया की उन्होंने अवैध दुकानों को तोड़ने के लिए दुकानदारों को नोटिस भेजे थे लेकिन दुकानदार कोर्ट में चले गए. मामला कोर्ट में होने के चलते निगम ने कार्रवाई रोक दी है और कोर्ट के फैसले का इंतजार है. कोर्ट का फैसला आने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी. अगर दुकानदारों के खिलाफ कोर्ट ने फैसला दिया तो नगर निगम दुकानों को तोड़ देगा.