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कीचड़ और सड़े कूड़े से उठ रही दुर्गंध के बीच 10 सालों से जी रहे हैं ये लोग

लोगों का कहना है कि पिछले 20 वर्षों से यह इस क्षेत्र में ऐसे ही हालात देखते आ रहे हैं. उनका कहना है, यहां पर कूड़ा फेंकने के लिए कोई भी डस्टबिन नहीं है. इसीलिए लोग खुले पड़े प्लॉटों में ही कूड़ा फेंकने को मजबूर हैं.

कीचड़ और सड़े कूड़े से उठ रहे दुर्गंध के बीच 10 सालों से जी रहे हैं ये लोग

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Published : Jun 1, 2019, 8:22 PM IST

यमुनानगर: देश के लाल किले से पीएम मोदी ने स्वच्छता का संदेश दिया. बड़े लेवल पर स्वच्छता मुहिम चलाई गई. आज उस संदेश को पांच साल होने वाले हैं, लेकिन हालात कितने बदले इस बात की तहकीकात करने के लिए हमारी टीम हरियाणा बोल्या कार्यक्रम के तहत यमुनानगर के वार्ड नंबर 11 में पहुंची. इन तस्वीरों को देख कर शायद कुछ भी बयां करना समय की बर्बादी होगी. कूड़ा, कचरा और बदबू ने जीना दूभर कर दिया है.

'परेशानी है पर रहना तो यहीं है'
कीचड़ से सने सुअर रिहायशी इलाकों में घूम रहे हैं. सड़े हुए कूड़े से उठ रही गंधास 24 घंटे उठती रहती है. दुर्गंध इतनी की हमारी टीम को कुछ मिनट भी खड़ा हो पाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन यहीं पर लोग सालों से रहते हैं. करें भी तो क्या ? मजबूरी भी है, इनका यहीं आशियाना है. आलम ये है कि जो भी हालात हैं गुजर-बसर भी यहीं करना है. देखिए खास रिपोर्ट-

वीडियो में देखिए यमुनानगर के वार्ड-11 से रजनी सोनी की रिपोर्ट

स्वच्छता के नाम पर प्रशासन नाकाम!
निगम के तरफ से अब घर-घर कूड़ा उठाने वाली कई गाड़ियां तो लगाई गई हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह अभी भी नहीं पहुंच रही है. जिसकी वजह से गंदगी का बुरा हाल है.. इस वजह से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

कैसे स्वच्छ होगा हरियाणा?
कल्पना करना भी मुश्किल है कि लोग ऐसी जगह पर रह भी कैसे पाते हैं. इन तस्वीरों ने स्वच्छता अभियान को फेल तो साबित कर ही दिया. साथ ही देश को लंदन और सिंगापुर बनाने का दावा करने वाले नेताओं को ये सच्चाई जानना भी जरूरी है. बड़ी-बड़ी बातों को करने वालों से विनती है कि वो जनता को पहले रहने लायक व्यवस्थाएं तो उपलब्ध करवा दें.

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