यमुनानगर:भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास योजना महंगे रियल एस्टेट सेक्टर की अपेक्षा सस्ते घरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी. इस स्कीम का लक्ष्य महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष में 31 मार्च 2022 तक देश भर में 2 करोड़ घरों का निर्माण करके सबके लिए घर के उद्देश्य को प्राप्त करना है. वहीं यमुनानगर में दो परिवार इस योजना के तहत घर पाने के लिए भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही.
यमुनानगर में PM आवास योजना के तहत घर पाने के लिए तरस रहे दो गरीब परिवार यमुनानगर के कैंप नगर के शिव नगर इलाके में एक विधवा महिला फूलवती अपने 5 बच्चों के साथ कच्ची छत वाले मकान में रहने को मजबूर है. 3 साल से वे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के छत वाले मकान के लिए अप्लाई कर रही हैं, लेकिन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
फूलवती ने बताया कि जब उसने अप्लाई किया तो उसके घर कुछ लोग सर्वे करने पहुंचे और उन्होंने फूलवती से 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे. जिस वजह से उसे योजना का लाभ नहीं मिल पाया है और उसका मकान कच्चा का कच्चा रह गया है.
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वहीं दूसरी ओर कैंप नगर के ही शिव नगर इलाके में रहने वाली नूरजहां ने बताया कि उन्होंने भी करीब 3 साल पहले ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के छत वाले मकान के लिए अप्लाई किया था. उनके घर सर्वे करने के लिए कुछ लोग पहुंचे, लेकिन उन्होंने रिश्वत मांगी उनके पास पैसे नहीं थे जिस वजह से वे इस योजना का लाभ नहीं उठा सके. नूरजहां ने बताया कि वे चाहती हैं कि उन्हें इस योजना का लाभ मिल सके, लेकिन सरकारी तंत्र पर उन्हें भरोसा नहीं है.
ये इलाका नगर निगम वार्ड नंबर-17 के तहत आता है. यहां की पार्षद रीना शर्मा ने बताया कि उनके इलाके में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें प्रधानमंत्री आवास के तहत लाभ नहीं मिल पाया है. उन्होंने बताया कि जरूरत ना होते हुए भी कई लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं तो फिर जिन लोगों को जरूरत है तो उन्हें ये लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा.
दिहाड़ी मजदूरी कर अपने बच्चों का पेट पाल रही ये विधवा महिलाएं सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काट कर थक चुकी हैं. अब तो ये कह रही हैं कि मकान जब बने बन जाए, लेकिन सरकारी विभागों के चक्कर अब वे नहीं काटेंगे क्योंकि इस वजह से वे दिहाड़ी मजदूरी भी नहीं कर पाती हैं जिस वजह से परिवार का पेट पालना मुश्किल हो जाता है.
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