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Ban on mining work In Haryana: प्रतिबंध के बाद भी निकाली जा रही रेत, नहीं हो रही कार्रवाई - यमुनानगर में अवैध खनन और ओवर लोडिंग

बरसात के मौसम को देखते हुए हरियाणा में खनन कार्य पर प्रतिबंध लगाया (Ban on mining work In Haryana) है. इस बीच यमुनानगर में कुछ ठेकेदार खुलेआम मनमानी करते हुए नियमों को ताक पर रखते हुए धडल्ले अवैध खनन कर नदियों से रेत निकाल रहे हैं.

Ban on mining work In Haryana
प्रतिबंध के बाद भी निकाली जा रही रेत, नहीं हो रही कार्रवाई

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Published : Jul 10, 2022, 6:12 AM IST

यमुनानगर: बरसात के मौसम में रेत के खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध है. बावजूद इसके कई ठेकेदार और रेत माफिया द्वारा मनमाने ढंग से नियमों को ताक पर रख खनन का कार्य बदस्तूर किया जा रहा है. खुले आम ट्रैक्टर में अवैध खनन कर रेत ले जाई जा रही है. खुलेआम हो रहे अवैध खनन पर प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है.

यमुनानगर में अवैध खनन और ओवरलोडिंग के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले गुमथला गांव के एडवोकेट वरयाम सिंह ने आरोप लगाया कि अवैध खनन का खेल बिना प्रशासन के कुछ अधिकारियों मिलीभगत के नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि गुमथला और जठलाना गांव में ऐसे कई घाट है जहां नियमों की अनदेखी कर ठेकेदारों द्वारा यमुना नदी की प्राकृतिक जलधारा को प्रभावित कर बांध बनाकर नदी के दूसरी तरफ अवैध खनन किया जा रहा है.

Ban on mining work In Haryana: प्रतिबंध के बाद भी निकाली जा रही रेत, नहीं हो रही कार्रवाई

एडवोकेट ने कहा कि हाल ही में हरियाणा मुख्य सचिव द्वारा अधिकारियों को वीसी के माध्यम से अवैध खनन पर रोक लगाने बारे सख्त आदेश दिए गए थे. बावजूद इसके प्रशासन के नाक के नीचे अवैध खनन का काम बदस्तूर जारी है. अवैध खनन का कार्य बिना अधिकारियों की मिलीभगत के हो ही नहीं सकता है.

वरयाम ने कहा कि अवैध खनन के कार्य की वीडियोग्राफी से जांच करवाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही इस पर रोक नहीं लगाई गई तो यमुना नदी से सटे कई गांव के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा सकता है. इसलिए अवैध खनन और ओवरलोड की सीबीआई जांच की जाए. यमुना नदी में जिस तरह से खनन ठेकेदारों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर खनन किया जा रहा है उसके भी कुछ वीडियो सामने आए है. जब हमने यमुना नदी से सटे जठलाना और गुमथला इलाके के कुछ खनन घाटों का दौरा किया तो सामने आया की खनन ठेकेदारों द्वारा यमुना नदी की प्राकृतिक जलधारा को प्रभावित कर नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई गई.

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