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जनता के दिलों से उतर गई है सरकार, कार्यकाल से पहले गिरेगी: कुमारी सैलजा - कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा न्यूज

कुमारी सैलजा ने कहा कि माहौल ऐसा है कि सरकार के रहने का कोई औचित्य ही बाकी नहीं रहा है. मुख्यमंत्री के गृह जिले में किसान महापंचायत नाम का कार्यक्रम में जो कुछ भी हुआ वह किसी से छिपा नहीं है.

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कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि जनता के दिलों से उतर गई है सरकार

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Published : Jan 18, 2021, 1:03 PM IST

यमुनानगर: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा ने‌ यमुनानगर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि आज विधानसभा बेमायने सी हो गई है. वहां पर कोई चर्चा नहीं होती पिछली बार भी सैशन के नाम पर जो तमाशा हुआ है, वह सबको पता है.

कुमारी सैलजा का कहना है कि मौजूदा सरकार का ना तो संसदीय प्रणाली ‌में और ना ही विधानसभा प्रणाली में विश्वास है. यह लोग तानाशाह हैं और सरकारें भी तानाशाही भरे काम कर रही है. ऐसे लोगों के दिन लद जाते हैं. अब बीजेपी के दिन भी लदने वाले हैं.

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सरकार कार्यकाल होने से पहले गिरेगी- सैलजा

कुमारी सैलजा की माने तो यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर जाएगी और अब इस अल्पमत की सरकार के गिरने का समय आ भी चुका है. सैलजा‌ ने कहा‌ कि चाहे बीजेपी के विधायक हो चाहे सहयोगी दल के हो‌ या फिर निर्दलीय विधायक हो,‌‌ हर कोई अपने मन की आवाज सुने और बाहर आएं.

'सरकार को किसी का दुख नहीं दिखता'

सैलजा ने बताया कि सब कुछ जनता के दम पर चला करता है. आज जिस कड़कती ठंड में खड़ा होना भी मुश्किल है. इसी ठंड में किसान खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे हुए हैं. आज देश और प्रदेश के आम नागरिकों के मन में मौजूदा सरकारों की सारी सच्चाई साफ हो चुकी है. लोग जान चुके हैं कि यह सरकार कठोर है इन्हें किसी का दर्द या दुख नजर नहीं आता. इनका ध्यान सिर्फ अपने पूंजीपति साथियों को फायदा देने में लगा रहता है.

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'कृषि कानूनों को थोपा जा रहा है'

सैलजा का दावा है कि किसी भी सर्वे की आवश्यकता नहीं है. सच्चाई यह है कि आज केंद्र और प्रदेश की मौजूदा सरकारें आम लोगों के दिलों से दूर हो चुकी हैं. सैलजा ने कहा कि कायदे कानून उस वक्त बनाए जाते हैं जब उनकी जरूरत होती है या लोग उसके लिए मांग करते हैं. मगर इन तीनों कृषि कानूनों की ना तो आवश्यकता थी, और ना ही किसानों ने इनकी मांग की थी, फिर भी यह काले कानून बनाकर जबरदस्ती थोपे जा रहे हैं. जिसका नतीजा है कि आज किसान सड़कों पर बैठने पर मजबूर है.

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