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'134-ए' का नहीं हुआ समाधान, शिक्षा के लिए भटक रहे हैं छात्र, जिम्मेदार कौन?

नियम तो बना लेकिन आज भी गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाई के लिए भटकना पड़ रह है. यमुनानगर में कुछ स्कूलों ने नियम 134ए के तहत पहले बच्चों को दाखिला दिया. फिर कुछ दिन बाद ही बाहर का रास्ता दिखा दिया.

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Published : Jun 1, 2019, 11:30 AM IST

दाखिले की रशीद दिखाते अभिभावक

यमुनानगर: नियम 134ए के तहत मिलने वाले दाखिलों में बच्चों के साथ स्कूलों में खिलवाड़ हो रह है. अभिभावकों का आरोप है कि कुछ स्कूलों ने नियम 134ए के तहत बच्चों को दाखिला तो दिया, लेकिन कुछ दिन बाद ही छात्रों को स्कूलों बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिसके चलते अभिभाभवक परेशान हैं.

क्या कहना है अभिभावकों का?

बता दें कि यमुनानगर में नियम 134ए के तहत कुछ स्कूलों ने बच्चों को दाखिले दिए. लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया. जिसके बाद से अभिभावक अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं. अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए वो इधर-उधर भटक रहे हैं.

एलिमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर का कहना है कि ये मामला जैसे ही उनके संज्ञान में आया. उन्होंने ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग में अलग-अलग खण्ड में क्या-क्या दिक्कतें हैं उस ओर हमने विचार विमर्श किया.

क्या कहना है शिक्षा अधिकारी का?

वहीं इस मामले में एलिमेंट्री एजुकेशन अधिकारी का कहना है कि कुछ टेक्निकल समस्या की वजह से ऐसा हो रहा है. हमने सभी अधिकारियों की ब्लॉक स्तर पर मीटिंग लेने के बाद रिपोर्ट बनाकर ऊपर विभाग को भेज दी है. जल्द ही ये टेक्निकल समस्या सॉल्व हो जाएगी और सभी बच्चों का स्टेटस अपलोड हो जाएगा.

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उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि उन्हीं स्कूलों में बच्चों को दाखिला मिल सके. जिन स्कूलों में ये समस्या आ रही है. और इसे गंभीरता से लिया जाएगा. यदि किसी स्कूल की कमी पाई गई तो उसके खिलाफ भी छात्र हित में जो कार्रवाई होगी वो जरूर की जाएगी.

क्या है नियम 134-ए:

इस नियम के तहत प्रत्येक प्राइवेट स्कूल को साल की शुरूआत में फॉर्म नंबर छह भरना होता है. फॉर्म नंबर छह में प्राइवेट स्कूलों को ये जानकारी शिक्षा विभाग को उपलब्ध करानी होती हैं कि वो क्या सुविधाएं उपलब्ध करा रहा हैं.

केंद्र सरकार के शिक्षा अधिकार कानून यानी आरटीई-2009 के मुताबिक, हर स्कूल 25 फीसदी गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देगा और अन्य जरूरी सुविधाओं का भी ध्यान रखेगा. इसके लिए केंद्र सरकार बजट देगी. लेकिन बजट का प्रावधान केवल सरकारी स्कूलों के लिए किया गया.

हरियाणा एजुकेशन एक्ट-2003 की धारा-134ए हरियाणा सरकार के इस नियम के अंतर्गत 25 फीसदी गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी. ये हर स्कूल के लिए अनिवार्य होगा, लेकिन इस कानून में बजट का प्रावधान नहीं दिया गया इसलिए इसका निजी स्कूल संचालक विरोध कर रहे हैं.

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