पानीपत:सुप्रीम कोर्ट और देश के सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अब आरटीआई (सूचना का अधिकार) के दायरे में आएंगे. माना जा रहा है कि न्यायालयों के आरटीआई के दायरे में आने से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी. अब कोई भी आम नागरिक आरटीआई आवेदन लगा सकेगा.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक- आरटीआई एक्टिविस्ट
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर को जो आरटीआई के बारे में निर्णय दिया है वो ऐतिहासिक निर्णय है. इस निर्णय का सभी आरटीआई कार्यकर्ता स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से देश की सुप्रीम कोर्ट और देश की सभी हाईकोर्ट के न्यायाधीश अब आरटीआई के दायरे में आ गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले आरटीआई एक्टिविस्ट, देखें वीडियो ये भी पढ़ें- ओपी चौटाला के भाई बनें कैबिनेट मंत्री, 32 साल बाद बाद ली शपथ
'सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से न्यायपालिका में आएगी पारदर्शिता'
इस निर्णय से न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी. अब कोई भी आम नागरिक आरटीआई आवेदन कर सकेगा. इससे आम नागरिक सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रशासनिक कार्यों, जजों की सम्पत्ति, वेतन भत्तों, पदोन्नति (प्रमोशन), नियुक्ति के बारे में प्रमाणिक सूचना ले सकेगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में सुनाया था इस पर फैसला
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को आरटीआई के दायरे में होने का फैसला दिया था. इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और अब दस साल बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय दिया है.
क्या है सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 ?
सूचना का अधिकार या राइट टू इन्फॉर्मेशन (RTI) एक्ट, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिए लागू किया गया है. इसका मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना है. आरटीआई को काफी हद तक भ्रष्टाचार कंट्रोल करने के हथियार के तौर पर भी देखा जाता है.