सोनीपत: कुख्यात शराब तस्करी मामले में अब नया मोड़ आ गया है. गांव सिसाना के पास से मार्च माह में ट्रक और एक सफारी गाड़ी में पकड़ी गई शराब के मामले में पुलिस ने गाड़ी मालिक और ट्रक चालक को गिरफ्तार किया है. उनको न्यायालय में पेश किया गया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.
इस मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर जसबीर और एएसआई जयपाल ने भूपेंद्र से मिलकर उसका नाम निकाल दिया था. वहीं दो हजार से ज्यादा पेटी शराब होने के बावजूद रिकॉर्ड में केवल 1100 पेटी ही शराब दिखाई थीं. जिसमें से भी बाद में 151 पेटी की हेरीफेरी का प्रयास किया गया था.
रिकॉर्ड में कम पेटी शराब दिखाई गई
शराब की हेराफेरी के मामले में आरोपी तत्कालीन एएसआई जयपाल ने 17 मार्च को सिसाना में एक ट्रक और एक सफारी गाड़ी से दो हजार से ज्यादा अवैध शराब की पेटी पकड़ी थी. इस दौरान ट्रक चालक झज्जर निवासी संदीप को गिरफ्तार किया गया था. जबकि सफारी गाड़ी से 50 पेटी शराब बरामद हुई थीं. उसका चालक मौके पर नहीं मिला था.
मालखाने की जगह दूसरी जगह भेजी गई शराब
भूपेंद्र ने रिमांड के दौरान पुलिस को बताया था कि गाड़ी और ट्रक में दो हजार से ज्यादा पेटी शराब थी. तत्कालीन इंस्पेक्टर जसबीर और एएसआई जयपाल ने मिलकर केवल 1100 पेटियां ही रिकॉर्ड में दिखाई थीं. इस मामले में भूपेंद्र का नाम निकालकर केवल ट्रक चालक पर मुकदमा दर्ज किया था. शराब की पेटियों को मालखाने में रखवाने के दौरान एएसआई ने 151 पेटी शराब दूसरी जगह रखवा दी थी.
इस मामले में एएसआई जयपाल को जेल भेजा जा चुका है. अब जांच अधिकारी नरेश कुमार ने आरोपी ट्रक चालक रमेश व गाड़ी मालिक ब्रह्मप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया है. इनको न्यायालय में पेश करने के बाद न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
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क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र खरखौदा थाने में सरेंडर कर चुका है. जिसे कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया जा चुका है.
कैसे हुई तस्करी?
सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.
पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं.
'पूरी योजना बनाकर निकाली गई थी शराब'
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि शराब माफिया ने पुलिस से सांठ-गांठ कर पूरा गुणा-भाग लगा कर गोदाम से शराब निकाली है. लॉकडाउन के दौरान शराब की मांग बढ़ी तो शराब माफिया ने पुलिस कर्मचारियों को झांसे में लिया. शराब गिनती में पकड़े जाने की बात उठी, तो माफिया ने तर्क दिया कि अब 6 सौ की बोतल 22 सौ में बिक रही है. लॉकडाउन खुलने के बाद 6 सौ रुपये की बोतल खरीद कर वापस गोदाम में रखवा दी जाएगी. जिससे कभी भी यह खेल उजागर नहीं होगा.
कैसे हुआ खुलासा?
डीएसपी हरेंद्र कुमार, डॉ. रविंद्र कुमार और जितेंद्र सिंह की देखरेख में 4 दिन तक शराब की गिनती की गई. पुलिस को सील की गयी गई शराब में से 5500 पेटियां गायब मिली. इनको ताले तोड़कर, सील हटाकर और दीवार उखाड़ कर निकाला गया था. सील की गई शराब गायब होने पर खरखौदा थाने में एसएचओ रहे अरुण कुमार और जसबीर सिंह समेत 5 पर मुकदमा दर्ज हुआ.
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