सोनीपत: मंगोलिया के उलानबटोर में चल रही सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप (Senior Asian Wrestling Championship) के पहले ही दिन सोनीपत के पहलवान ने अपना डंका बजाया है. हरियाणा के सोनीपत के डबरपुर गांव के पहलवान सुनील कुमार ने बुधवार को 87 किलोग्राम भार वर्ग (sunil kumar won bronze medal) में कांस्य पदक जीता. उन्होंने कांस्य पदक मुकाबले में मंगोलिया के पहलवान को 9-1 से शिकस्त दी. सुनील कुमार ने साल 2020 में दिल्ली में स्वर्ण जीता था.
सुनील कुमार की इस उपलब्धि पर गांव डबरपुर में खुशी का माहौल है. घरवालों को भी अपने बेटे पर नाज है. सुनील के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. सुनील कुमार के परिजनों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग की है कि कुश्ती खेल को राष्ट्रमंडल खेल में दोबारा शामिल करवाया जाए, ताकि प्रदेश के खिलाड़ी देश के लिए अधिक पदक लेकर आयें और देश का नाम रोशन करें. साथ ही प्रदेश के पहलवानों का भविष्य सुरक्षित हो सके.
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सुनील कुमार की मां अनीता देवी ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की जीत पर गर्व तो है, पर असली खुशी उन्हें तब होगी जब उसका बेटा देश के लिए ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करेगा और स्वर्ण पदक जीतेगा. सुनील कुमार की मां ने बताया कि जबवो कक्षा पांचवीं में थे, तभी से उन्होंने पहलवानी में हाथ आजमाना शुरू किया था. सुनील कुमार के पिता अश्वनी मलिक का निधन हो चुका है. वह दिल्ली एमसीडी में कार्यरत थे. उनके निधन के बाद सुनील मलिक के बड़े भाई सुमित मलिक ने परिवार की जिम्मेदारी को संभाला है. वहीं सुनील के छोटे भाई नितिन नेवी में हैं.
राष्ट्रमंडल खेलों से कुश्ती को बाहर करने के सवाल पर सुनील कुमार के भाई सुमित मलिक व चाचा राजेश ने कहा कि यह फैसला खिलाड़ियों के लिए एक झटका है. इससे खिलाड़ियों के भविष्य पर असर पड़ेगा. इस तरह के फैसले खिलाड़ियों के उत्साह को तोड़ कर उन्हें निराश करने का काम करते हैं. राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेकर पदक जीतने पर खिलाड़ी के जीवन को नई दिशा मिलती है. वहीं देश के लिए कुछ करने का हौसला मिलता है. उन्होंने कहा कि कुश्ती संघ को इस फैसले पर विचार करना चाहिए.
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