सोनीपतःकोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन के बीच खेतों में गेहूं के फसल की कटाई भी चल रही है. गेहूं कटाई के वक्त हर साल देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का लेवल बढ़ने लगता है और इसका ठीकरा किसानों के सिर पर फोड़ा जाने लगता है. क्योंकि गेहूं की कटाई के बाद खेतों में फसलों के अवशेष जलाए जाते रहे हैं.
दिल्ली से लगते हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसानों को इन दिनों होने वाले प्रदूषण के लिए कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते दिल्ली के पर्यावरण में काफी सुधार हुआ है और प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है.
फसल को अवशेषों को जलाने के बजाय पशुओं का चारा बना रहे किसान वहीं अब किसान भी पर्यावरण को बचाने में अपना सहयोग कर रहे हैं. देशभर के अन्नदाता आजकल गेहूं की पकी हुई फसलों को काट रहे है. लेकिन हरियाणा के ज्यादातर किसान फसलों के अवशेषों को जलाने की बजाय पशुओं का चारा बनाने में जुटे हुए हैं.
किसान प्रदूषण को कम करने और जमीन की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं और इस काम में किसानों की मदद कर रही है रीपर मशीन. जिसका उपयोग कर किसान फसल के अवशेषों को पशुओं का चारा बना रहे हैं.
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