सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है. अब किसान नेताओं पर किसान आंदोलन को तेज करने का दबाव बन रहा है ताकि सरकार पर इन कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाया जाए और सरकार किसानों के सामने झुके.
अब 7 नवंबर को पहले तो हरियाणा के संगठन रोहतक के मकड़ौली टोल पर बैठक करने जा रहे हैं. वहीं 8 नवंबर को पंजाब में 32 जत्थेबंदिया बैठक करेंगी, और अपनी-अपनी बैठकों का लेखा-जोखा और बैठकों में हुई चर्चा को 9 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक (samyukt kisan morcha meeting) में रखा जाएगा. गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे.
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इसके बाद देखते ही देखते नेशनल हाईवे-44 को किसानों ने कई किलोमीटर तक जाम कर दिया और यहीं पर अपने डेरे बसा लिए. किसानों ने सरकार को घेरने के लिए और बातचीत के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया और सरकार के साथ करीब 12 दौर की बातचीत भी किसान नेताओं की हुई, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. अब हालात ये है कि ना तो सरकार किसानों को बातचीत का न्योता दे रही है और ना ही किसान आगे बढ़कर सरकार के साथ बातचीत को राजी हैं.