सोनीपत: इंग्लैंड में चल रहे बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 (Commonwealth Games 2022) में हरियाणा के पहलवानों का जलवा देखने को मिल रहा है सोनीपत के गांव नाहरी के रहने वाले रवि दहिया ने अपने चिर प्रतिद्वंदी नाइजीरियन खिलाड़ी को एक तरफा कुश्ती में हराते हुए गोल्ड पर कब्जा किया है. रवि के गोल्ड मेडल जीतने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है. रवि के परिवार के साथ ही गांव के लोग भी अब रवि से ओलंपिक में गोल्ड की उम्मीद लगा ली है.
टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में देश का नाम रोशन करने वाले सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया ने राष्ट्र मंडल खेल 2022 में भी देश की झोली में गोल्ड मेडल डाला है. आपको बता दें कि नाइजीरियन खिलाड़ी को रवि दहिया ने टेक्निकल सुपीरियटी से हराते हुए जीत दर्ज (CWG 2022 India Medals Tally) की है. गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद रवि दहिया के परिवार में लोगों की बधाई का तांता लग गया है.
साधारण परिवार से आते हैं रवि:पहलवान रवि दहिया सोनीपत के गांव नाहरी (Wrestler Ravi Dahiya Nahari village) के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. रवि के पिता राकेश किसान है और माता उर्मिला ग्रहणी हैं. वहीं रवि का छोटा भाई पंकज भी रवि के साथ पहलवानी करता है. रवि के पिता राकेश ने अपने बेटे को पहलवान बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है. रवि को इस मुकाम तक ले कर जाने के लिए उनके माता-पिता का अहम रोल रहा है. रवि की इस जीत के बाद पिता राकेश और मां उर्मिला ने बेहद खुश नजर आए. पिता ने कहा कि उन्हें बेटे से अबकी बार गोल्ड मेडल की उम्मीद थी और बेटे ने गोल्ड मेडल जीतकर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है. आने वाले प्रतियोगिताओं में रवि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम और ऊंचा करेगा.
रवि के परिवार में जश्न का माहौल गांव में खुशी का माहौल:पहलवान रवि दहिया (Gold Medalist Ravi Dahiya) की इस जीत के बाद ग्रामीणों में भी खुशी का माहौल है और रवि के चाचा राजेश ने कहा कि रवि देश को मेडल दिलाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है और अब आने वाले ओलंपिक में वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करेगा. चाचा ने कहा कि रवि को देखकर गांव के युवा भी पहलवानी की ओर बढ़ रहे हैं. आपको बता दें कि रवि को इंटरनेशनल पहलवान बनाने के लिए परिवार ने कड़ी मेहनत की है और जब रवि 10 या 11 साल का था तब उसके चाचा राजेश उसे अखाड़े में लेकर जाते थे और उन्हीं से रवि ने कुश्ती के दांवपेच सीखे हैं.
बेटे के लिए पिता हर रोज करते थे 200 किमी. तक का सफर:बेटे को ऊंचे मुकाम पर देखना हर मां-बाप का सपना होता है. कुछ इसी तरह का सपना बुनकर रवि के पिता हर रोज 200 किलो मीटर का सफर तय करते थे. रवि दहिया के पिता राकेश अपने बेटे के लिए हर रोज हरियाणा से दिल्ली दूध लेकर जाते थे. न सिर्फ एक टाइम बल्कि दोनों टाइम सुबह और शाम को रवि के पिता सफर करते थे. आने-जाने में लगभग राकेश का 200 किमी तक का सफर तय हो जाता था. पर बेटे को एक मुकाम पर पहुंचाना मानो उनकी जिद सी हो गई थी और आज परिवार और पिता की मेहनत रंग लाई है. रवि दहिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड मेडल हासिल किया है.
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