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सोनीपत के इस स्टेडियम में महिला खिलाड़ियों को हर रोज़ झेलनी पड़ती है शर्मिंदगी

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Published : Mar 1, 2020, 1:19 PM IST

सोनीपत स्थित हॉकी स्टेडियम में महिला खिलाड़ियों को कई तरह की दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है. इस स्टेडियम में ना तो शौचालय है, ना चेजिंग रूम है और ना ही पीने का साफ पानी.

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सोनीपत: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी खिलाओ की दुर्दशा देखनी है तो सोनीपत में देखें. किसी ने शायद सोचा भी नहीं होगा कि जिस बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत पीएम मोदी ने हरियाणा से की थी, उसी प्रदेश के हॉकी स्टेडियम में इतनी बड़ी बदहाली देखने को मिलेगी.

दरअसल, सोनीपत के जिस हॉकी स्टेडियम में भारतीय महिला टीम के लिए 20 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों को तैयार किया है. उसी स्टेडियम की बदहाली से यहां महिला खिलाड़ियों को हर-रोज जूझना पड़ता है.

स्टेडियम में महिला खिलाड़ियों के लिए ना शौचालय, ना चेंजिंग रूम, देखें रिपोर्ट

ना शौचालय, ना चेंजिंग रूम और ना ही पीने का साफ पानी

इस स्टेडियम में इन बेटियों को शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ती है. इन बेटियों के लिए इस स्टेडियम में शौचालय तक नहीं है, जिस कारण इन बेटियों को स्टेडियम में खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ता है. इतना ही नहीं, इन बेटियों के लिए स्टेडियम में चेंजिंग रूम भी नहीं हैं. जिस वजह से इन बेटियों को मजबूरी में खुले में ही अपने कपड़े बदलने पड़ते हैं.

जो महिला खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस करने आती है, वो अब पीने के पानी के लिए भी सरकार से गुहार लगा रही है. ऐसा भी नहीं कि सरकार इन मुश्किलों से वाकिफ नहीं है. सरकार इस स्टेडियम की बदहाली से भलीभांति परिचित है. प्रदेश के खेल मंत्री संदीप सिंह तो यहां आ भी चुके हैं और ये बेटियां अपना दुखड़ा उनके सामने भी रो चुकी हैं, लेकिन हालात बदलने का नाम नहीं ले रहे हैं.

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अब गर्मी का मौसम आने वाला है. ऐसे में पीने के पानी की समस्या बड़ी हो सकती है. हर रोज 150 से अधिक महिला खिलाड़ी यहां पर अभ्यास करती हैं. स्टेडियम और अपने मैदान की सफाई तक इन बेटियों को खुद ही करनी पड़ती है.

स्टेडियमों की बदहाली के बाद मेडल लाते हैं हरियाणा के खिलाड़ी

125 करोड़ से अधिक की आबादी वाले हमारे देश में सबसे ज्यादा मेडल हरियाणा के खिलाड़ी लाते हैं. स्टेडियमों की इतनी बदहाली के बावजूद कुश्ती हो, चाहे बॉक्सिंग सभी खेलों में हरियाणा के हर वर्ग के खिलाड़ी विश्व मे देश का परचम लहराते हैं.

अगर सरकार इन महिला खिलाड़ियों के लिए उचित सुविधाएं दे तो शायद ये बड़े कीर्तिमान स्थापित कर सकती हैं. खेलों और खिलाड़ियों की सुविधाओं के ढोल पीटने वाली ये सरकार क्या इस दिशा में उचित कदम उठाएगी, ये तो वक्त ही बताएगा.

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