हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

शराब घोटाला: 'आरोपी भूपेंद्र की अधिकारियों से लेकर नेताओं तक पहुंच' - शराब घोटाला सोनीपत न्यूज

सोनीपत शराब घोटाले में पूछताछ के दौरान आबकारी विभाग के बर्खास्त इंस्पेक्टर धीरेंद्र ने कई अहम खुलासे किए हैं. धीरेंद्र ने बताया कि भूपेंद्र अधिकारियों को हर काम के बदले में मोटी धनराशि देता था. इसके बदले में भूपेंद्र की शराब को पकड़कर ऐसे ही छोड़ दिया जाता था.

liquor scam case
liquor scam case

By

Published : Jun 24, 2020, 8:00 AM IST

सोनीपत: शराब घोटाले में पुलिस ने आबकारी विभाग के बर्खास्त इंस्पेक्टर धीरेंद्र को दो दिन की रिमांड पर लिया है. रिमांड के दौरान धीरेंद्र ने कई अहम खुलासे किए हैं. एसईटी ने धीरेंद्र से पूछताछ के लिए कुछ सवालों की सूची तैयार की थी. धीरेंद्र ने सभी सवालों का बेबाकी से जवाब दिया. उसने अपने आप को दोषी मानने से इंकार करते हुए कहा कि आबकारी विभाग के कई अधिकारी भूपेंद्र और जितेंद्र से मिलकर उसका काम कराते थे.

भूपेंद्र अधिकारियों को हर काम के बदले में मोटी धनराशि देता था. इसके बदले में भूपेंद्र की शराब को पकड़कर ऐसे ही छोड़ दिया जाता था. इसके मामलों में ज्यादा कार्रवाई नहीं की जाती थी. अब एसईटी आबकारी विभाग के चार अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी कर रही है. रिमांड के दौरान धीरेंद्र ने खुलासा किया कि शराब तस्करी से मोटी कमाई करके भूपेंद्र अधिकारियों और कर्मचारियों को भी हर महीने रुपये देता था.

यही कारण था कि कोई अधिकारी-कर्मचारी भूपेंद्र की शराब पकड़ने या उसको रोकने के लिए तैयार नहीं था. भूपेंद्र की राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच भी थी. आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर धीरेंद्र ने बताया कि भूपेंद्र के हर सप्ताह तस्करी की शराब के ट्रक आते थे. हम उनको बिना जांच के ही निकाल देते थे. कभी शिकायत करने वाले पीछे पड़ जाते थे तो हम पब्लिक के सामने शराब को पकड़ लेते थे और उसको भूपेंद्र के गोदाम में ही बिना लिखा-पढ़ी के रखवा देते थे. इसके बदले में वो मोटी धनराशि देता था.

पूछताछ में एसईटी को पता चला है कि भूपेंद्र को पुलिस के साथ आबकारी विभाग का पूरा संरक्षण प्राप्त था. एसईटी सूत्रों की मानें तो धीरेंद्र ने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध कराए हैं.

रिमांड के दौरान धीरेंद्र से पूछे गए कुछ सवाल:-

1. सवाल: भूपेंद्र से मुलाकात कहां पर होती थी?

जवाब: ज्यादातर उसका भाई जितेंद्र मिलने आता था. शराब के ट्रक आने से पहले भूपेंद्र का मैसेज आता था. हम उसके ट्रकों को बेरोकटोक निकलवाने में मदद करते थे.

2. सवाल: भूपेंद्र से कितने रुपये मिलते थे?

जवाब: वो अधिकारियों और कर्मचारियों को अलग-अलग धनराशि देता था. मुझको 50 हजार रुपये महीना मिलता था.

3. सवाल: आबकारी विभाग का और कोई कर्मचारी भी मिला हुआ था?

जवाब: विभाग के ज्यादातर अधिकारी-कर्मचारी भूपेंद्र के हितैषी थे. हर कदम पर हम भूपेंद्र का ख्याल रखते थे और वो हमारा. मौजूद और पूर्व के चार अधिकारियों का भूपेंद्र को खास संरक्षण प्राप्त था. वो उसके प्रत्येक काम में सहयोग करते थे.

एसईटी के इस्पेक्टर नरेंद्र पाल ने बताया कि धीरेंद्र से पूछताछ में महत्वपूर्ण जानकारी मिली हैं. उसके आधार पर आबकारी विभाग के कुछ अधिकारियों से गहन पूछताछ की जरूरत है. इनको इनवेस्टिगेशन में लाया जाएगा. पूछताछ में पता चला है कि धीरेंद्र और सुनील के साथ ही आबकारी विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी शराब तस्करी में उसका सहयोग करते थे.

ये भी पढ़ें-चंडीगढ़: कोरोना ने छीन ली हजारों हाउस मेड्स की नौकरी, परिवार का पेट भरना भी हुआ मुश्किल

वहीं पुलिस अधीक्षक जशनदीप सिंह रंधावा ने कहा कि धीरेंद्र ने रिमांड के दौरान कई अहम खुलासे किए हैं. जिसके आधार पर कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएागा. मामले में जिनके भी नाम आ रहे हैं, सभी से पूछताछ कर जांच में शामिल किया जाएगा. जो भी शराब घोटाले में संलिप्त हैं, वो किसी प्रकार बच नहीं पाएंगे. भले ही वो किसी दूसरे स्थान पर ट्रांसफर हो गए हों.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. भूपेंद्र इस गोदाम का ठेकेदार है. ठेकेदार भूपेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.

कैसे हुई तस्करी?

खरखौदा में बाइपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम ये रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा, जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं. इस शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details