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शराब घोटाला मामला: बर्खास्त इंस्पेक्टर जसबीर ने हाई कोर्ट में लगाई जमानत याचिका

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Published : Jun 11, 2020, 9:22 AM IST

सोनीपत शराब घोटाले मामले में एसईटी ने जांच तेज कर दी है. एसईटी ने फरार चल रहे आरोपियों की संपत्ति का ब्योरा लेना शुरू कर दिया है.

liquor scam case
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सोनीपत: खरखौदा बाइपास स्थित गोदाम से शराब चोरी, तस्करी, गबन और भ्रष्टाचार के मामले में फरार बर्खास्त इंस्पेक्टर जसबीर सिंह ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई है. सेशन कोर्ट से उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. इस मामले में दूसरे आरोपी आबकारी विभाग के कर्मचारी सुनील कुमार ने भी सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई है. एक और आरोपी जितेंद्र की अग्रिम जमानत की अर्जी पर वीरवार को सुनवाई होगी.

मामले में फरार जसबीर, जितेंद्र, सतीश, संजय और सुनील की संपत्ति का ब्योरा लिया जा रहा है. जिसे न्यायालय में पेश किया जाएगा. ताकि संपत्ति को अटैच कराया जा सके. शराब घोटाले के मामले में आरोपी पुलिस पकड़ से बाहर हैं. पुलिस, एसईटी और सीआईए का पूरा ध्यान बर्खास्त पुलिस इंस्पेक्टर जसबीर पर लगा है. पिछले दिनों जसबीर ने अग्रिम जमानत के लिए सेशन कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था.

सेशन कोर्ट ने जसबीर को हिदायत दी थी कि वो पुलिस के सामने पेश होकर जांच में सहयोग करे. उसके बावजूद जसबीर ने सरेंडर नहीं किया. अब उसने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की है. एसईटी के अनुसार न्यायालय उसपर सुनवाई के लिए एक-दो दिन में तारीख लगाएगा. पुलिस ने भी अपने जरूरी कागजात तैयार कर लिए हैं. इन कागजात को हाई कोर्ट भेज दिया है.

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पुलिस हाई कोर्ट में जसबीर की अग्रिम जमानत का विरोध करेगी. उसको पुलिस के सामने सरेंडर करने की सलाह दी गई है. वहीं आबकारी विभाग के कर्मचारी सुनील कुमार ने भी सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई है. अभी उस पर भी सुनवाई की तारीख नहीं लगी है. शराब घोटाले में फरार चल रहे आरोपियों पर एसईटी ने जांच तेज कर दी है. एसईटी फरार हुए आरोपियों की संपत्ति अटैच कराने की कोशिश कर रही है.

आरोपियों की संपत्ति का पता लगाने के लिए बारीकी से जांच की जा रही है. ये पता लगाया जा रहा है कि उनके कितने फ्लैट, मकान, प्लॉट या अन्य संपत्ति है. एसईटी आरोपियों के संबंधित तहसीलदार, तहसील, सरपंच और परिवार वालों से उनकी संपत्ति का ब्योरा एकत्रित कर रही है. इस ब्योरे को कोर्ट में दिया जाएगा. जिसके बाद कोर्ट के माध्यम से उनकी संपत्ति को अटैच कराने का प्रयास किया जाएगा.

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