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Published : Oct 5, 2020, 8:25 PM IST

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इनेलो और लोसुपा बिगाड़ सकती है कांग्रेस और गठबंधन उम्मीदवार का खेल

बरोदा उपचुनाव की घोषणा होने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकटों के दावेदार सक्रिय हो गए हैं. सत्तारूढ़ भाजपा और जजपा गठबंधन से दावेदार ताल ठोक रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के गढ़ को भेदने के लिए भाजपा-जजपा गठबंधन मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतारने की रणनीति पर काम कर रहा. वहीं इनेलो और लोसुपा भी ऐसे उम्मीदवारों पर विचार कर रही है जो किसी का भी खेल बना और बिगाड़ सकते हैं.

baroda byelection
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सोनीपत:भाजपा-जजपा गठबंधन और कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए कई नेताओं ने दावेदारी ठोकी है. दोनों दलों के नेता क्षेत्रीय, जातीय व लोगों में व्यक्तिगत का हवाला देकर टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में योगेश्वर दत्त डीएसपी की नौकरी छोड़ कर भाजपा की टिकट से मैदान में आए थे. वे चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार श्रीकृष्ण हुड्डा से कड़े मुकाबले में हार गए थे.

योगेश्वर को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में 37726 वोट मिलने से बाद भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है. इससे पहले भाजपा के उम्मीदवार 10 हजार वोटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाए. चुनाव हारने के बाद भी योगेश्वर दत्त लगातार लोगों के बीच में बने रहे. दत्त भाजपा के मजबूत दावेदार हैं.

व्यक्तिगत मजबूत जनाधार रखने वाले डॉ. कपूर नरवाल भी टिकट को लेकर दावेदार हैं. इनेलो छोड़ने के बाद वो जजपा और उसके बाद भाजपा में शामिल हुए थे. प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के चलते जजपा के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. केसी बांगड़ और बरोदा से पूर्व प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक भी दावेदार हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आशीर्वाद से ही बरोदा में कांग्रेस का उम्मीदवार आएगा. कांग्रेस के उम्मीदवार जितेंद्र उर्फ जीता, प्रदीप सांगवान, दावेदार सक्रिय हो गए हैं. दावेदार अपने-अपने दलों के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क साध कर दावेदारी कर रहे हैं. क्षेत्र में चर्चा है कि सत्ताधारी दल के एक नेता कांग्रेस में शामिल होकर कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं.

इनेलो और लोसुपा बिगाड़ेगी खेल!

इनेलो के भी जोगेंद्र मलिक, सुरेंद्र सिरसाढ़ सहित तीन दावेदार सक्रिय हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इनेलो किसी ऐसे चेहरे को मैदान में उतारने की फिराक में है जो भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार या कांग्रेस के उम्मीदवार का खेल बिगाड़ सके. लोसुपा जातीय समीकरणों को ध्यान में रख कर अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगी. जाट बाहुल्य क्षेत्र बरोदा में अगर भाजपा-जजपा गठबंधन और कांग्रेस अगर जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी तब लोसुपा किसी चर्चित गैर जाट को मैदान में उतारने से पीछे नहीं हटेगी.

विकास के साथ जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर भी नजर

बरोदा हलके के उपचुनाव में सभी राजनीतिक दल विकास के मुद्दे के साथ जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों को मैदान में लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, बरोदा 2009 से पहले इनेलो का गढ़ रहा है. इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला दावा करते हैं कि बरोदा में विकास इनेलो सरकार के कार्यकाल में हुआ था.

कांग्रेस के नेता पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के कार्यकाल में विकास होने का दावा करते हैं जबकि भाजपा नेता अब बरोदा का विकास होने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में विकास के साथ-साथ सभी दल जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रख कर दावेदारों के नामों पर मंथन कर रहे हैं.

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