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बरोदा उपचुनाव: किसानों की नाराजगी बीजेपी को पड़ सकती है भारी, देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

अनाज मंडी के हालात और सरकार के दावे से बिल्कुल अलग हैं. उनका कहना है कि फसल बिक नहीं रही. किसानों का कहना है कि वो इतने परेशान हो गए हैं कि अपनी जीवनलीला समाप्त कर देना चाहते हैं.

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बरोदा में चुनावी बयार है, किसान बेहाल है!

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Published : Oct 14, 2020, 7:04 AM IST

Updated : Oct 14, 2020, 1:09 PM IST

बरोदा:महज तीन हफ्तों के बाद बरोदा की जनता अपना नया प्रतिनिधी चुनने वाली है. ऐसे में अब सभी राजनीति दलों की निगाहें बरोदा में टिक गई है. तमाम राजनीतिक दल के नेता बरोदा में एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं और इस बार अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, इसी चुनावी बयार में ईटीवी भारत की टीम भी बरोदा में उतर चुकी है, और यहां की जनता से ये जानने की कोशिश कर रही है कि इस बार बरोदा के मन में क्या है?

बरोदा में चुनावी बयार है... किसान बेहाल है!

ईटीवी भारत की इस ग्राउंड रिपोर्ट में किसानों ने क्या कहा इससे पहले हम आपको बरोदा के बारे में संक्षिप्त जानकारी दे देते हैं. बरोदा एक ग्रामीण क्षेत्र में आने वाला विधानसभा है. माना जाता है कि यहां सौ प्रतिशत लोग कृषि क्षेत्र से ही ताल्लुक रखते हैं. बरोदा विधानसभा को ताऊ देवीलाल का गढ़ भी माना जाता था, लेकिन लगातार तीन बार से यहां काग्रेस अपनी जीत का परचम लहराती रही है, साल 2019 में भी कांग्रेस के दिग्गज नेता कृष्ण हुड्डा जीते थे, लेकिन उनके निधन की वजह से बरोदा में दोबारा उपचुनाव होने वाला है.

बरोदा में चुनावी बयार है, किसान बेहाल है! देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

इस बार उपचुनाव में बरोदा की जनता की दिल कौन जीतेगा, इस सवाल के साथ ईटीवी भारत की टीम पहुंची बरोदा अनाज मंडी में. इस समय फसलों की खरीद का सीजन चल रहा है, बरोदा के तमाम किसान अपनी फसलों को बेचने के लिए अनाज मंडी में पहुंचे हैं, यहां किसान मंडी में खरीद व्यवस्था से परेशान दिखे. अनाज मंडी में किसानों का गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है. किसानों को अपनी धान की फसल को बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

'आज से बेहतर तो पूर्व सरकारों ने ही दाम दिए'

किसानों का कहना है कि अनाज मंडी के हालत और सरकार के दावे से बिल्कुल अलग हैं. उनका कहना है कि फसल बिक नहीं रही. किसानों को कई दिनों से मंडी में ही रहना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि जो उनकी फसल यहां औने-पौने दामों पर बिक रही है. जितना खेती में लगाया उतना भी नहीं मिल रहा. एमएसपी को लेकर तो सरकार बिल्कुल गलत बयान दे रही है.

अपनी फसल का एंट्री करवाते हुए धान बेचने आए किसान

कुछ किसानों का कहना है कि पूर्व सरकारों के शासनकाल में जो फसलों के भाव थे, वही अच्छे मिल रहे थे, इसलिए 2 बार बरोदा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को वोट देकर जिताया. अबकी बार भी उसी पार्टी की तरफ बरोदा के किसानों का रुख रहेगा.

नेता आए, किसी ने नहीं सुनी

किसानों से जब पूछा गया कि उपचुनाव को लेकर कोई नेता आपके पास आया या फिर किसी नेता ने चुनावी माहौल में कुछ मदद की, तो किसानों का दो टूक कहना था कि उनकी सुनने वाला कोई नेता नहीं है. किसान इतने परेशान हो गए हैं वो अपनी जीवनलीला समाप्त कर देना चाहते हैं.

खरीद नहीं होने की वजह से मायूस हैं कपाल बेचने आए किसान

ईटीवी भारत से इस बातचीत में किसानों में सरकार की नीतियों को लेकर काफी गुस्सा दिखा. बरोदा के किसान मंडी खरीद नीति को लेकर सरकार के दावों को भी झुठलाते दिखे, ऐसे में इस उपचुनाव में सरकार की डगर काफी मुश्किल भरी लग रही है.

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Last Updated : Oct 14, 2020, 1:09 PM IST

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