बरोदा:महज तीन हफ्तों के बाद बरोदा की जनता अपना नया प्रतिनिधी चुनने वाली है. ऐसे में अब सभी राजनीति दलों की निगाहें बरोदा में टिक गई है. तमाम राजनीतिक दल के नेता बरोदा में एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं और इस बार अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, इसी चुनावी बयार में ईटीवी भारत की टीम भी बरोदा में उतर चुकी है, और यहां की जनता से ये जानने की कोशिश कर रही है कि इस बार बरोदा के मन में क्या है?
बरोदा में चुनावी बयार है... किसान बेहाल है!
ईटीवी भारत की इस ग्राउंड रिपोर्ट में किसानों ने क्या कहा इससे पहले हम आपको बरोदा के बारे में संक्षिप्त जानकारी दे देते हैं. बरोदा एक ग्रामीण क्षेत्र में आने वाला विधानसभा है. माना जाता है कि यहां सौ प्रतिशत लोग कृषि क्षेत्र से ही ताल्लुक रखते हैं. बरोदा विधानसभा को ताऊ देवीलाल का गढ़ भी माना जाता था, लेकिन लगातार तीन बार से यहां काग्रेस अपनी जीत का परचम लहराती रही है, साल 2019 में भी कांग्रेस के दिग्गज नेता कृष्ण हुड्डा जीते थे, लेकिन उनके निधन की वजह से बरोदा में दोबारा उपचुनाव होने वाला है.
इस बार उपचुनाव में बरोदा की जनता की दिल कौन जीतेगा, इस सवाल के साथ ईटीवी भारत की टीम पहुंची बरोदा अनाज मंडी में. इस समय फसलों की खरीद का सीजन चल रहा है, बरोदा के तमाम किसान अपनी फसलों को बेचने के लिए अनाज मंडी में पहुंचे हैं, यहां किसान मंडी में खरीद व्यवस्था से परेशान दिखे. अनाज मंडी में किसानों का गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है. किसानों को अपनी धान की फसल को बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
'आज से बेहतर तो पूर्व सरकारों ने ही दाम दिए'