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महीनों का राशन लेकर सिंघु बॉर्डर पहुंचे किसान, स्थानीय लोग भी कर रहे मदद - सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन

ईटीवी भारत की टीम ने जाटी गांव में जाकर आंदोलनकारी किसानों से बात की. किसानों ने बताया कि है लोग यहां पर साफ-सफाई भी कर रहे हैं और एक दूसरे की मदद भी कर रहे हैं. साथ ही स्थानीय लोगों का भी इन्हें पूरी तरह से सहयोग मिल रहा है.

ground report from singhu border on farmers protest
ground report from singhu border on farmers protest

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Published : Nov 28, 2020, 12:46 PM IST

नई दिल्ली/सोनीपत: दिल्ली में पंजाब से आए आंदोलनकारी किसानों के आंदोलन का आज तीसरा दिन है. किसान नेताओं की अभी तक केंद्र सरकार से बात नहीं हो सकी है. उसके बावजूद भी लोग अभी भी सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. हालांकि कुछ किसान दूसरे बॉर्डर से बुराड़ी ग्राउंड में पहुंच चुके हैं.

वहीं किसानों की मांग है कि सरकार इन लोगों से बात करेगी तो ही कुछ मसला निकलने के बाद बुराड़ी ग्राउंड में जाएंगे. आंदोलनकारी किसान हरियाणा के सिंघु बॉर्डर के पास जाटी गांव में रुके हुए हैं. सभी किसान यहां पर अपना महीनों के राशन के साथ पहुंचे और उन्होंने यहां पर लंगर भी लगाया हुआ है.

महीनों राशन के साथ सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने जमाया डेरा, स्थानीय लोग कर रहे मदद

ईटीवी भारत की टीम आंदोलनकारी किसानों से बात की

ईटीवी भारत की टीम ने जाटी गांव में जाकर आंदोलनकारी किसानों से बात की. किसानों ने बताया कि है लोग यहां पर साफ-सफाई भी कर रहे हैं और एक दूसरे की मदद भी कर रहे हैं. साथ ही स्थानीय लोगों का भी इन्हें पूरी तरह से सहयोग मिल रहा है. तीन दिन इस इलाके में रुके हुए हो गए है, उसके बावजूद भी यहां पर कोई गंदगी नहीं है.

किसानों ने बताया कि इनके पास पूरा लाव लश्कर है और लगातार पीछे से खाने का सामान आ रहा है. यह लोग महीनों तक दिल्ली में अपनी मांगों को मनवाने के लिए रुके रहेंगे. यदि सरकार जल्दी मान जाती है तो ठीक है और नहीं तो साल भर तक रुकना पड़ा तो यह पूरे साल ही बॉर्डर पर रुक कर सरकार का मुकाबला करेंगे.

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन पर बोले राहुल गांधी, 'मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के खिलाफ खड़ा किया'

बुराड़ी ग्राउंड पहुंच रहे हैं किसान

हालांकि दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड में अलग-अलग बॉर्डर से किसानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है, लेकिन आंदोलनकारी किसान अभी भी दिल्ली हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार किस तरीके से आंदोलनकारी किसानों को समझाने में सफल होती है या फिर दोनों पक्ष एक दूसरे के सामने डटे रहेंगे.

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