सोनीपत: हरियाणा दूध और दही के खाने के लिए विश्व में प्रसिद्ध है. दूध से बनी चीजें भी यहां खूब पसंद की जाती है. हम बात कर रहे हैं गोहाना के घेवर (Gohana Ghevar) की. जलेब के बाद लाला मातूराम की दुकान पर दूध, शुद्ध देसी घी और दही से बनने वाला घेवर भी विश्व में पहचान बना रहा है. साल 1958 से यहां जलेबियां बनाने का काम किया जा रहा है. जोकि विश्व में गोहाना के जलेब (Gohana Jalebi) नाम से प्रसिद्ध है.
अब घेवर को भी खूब पसंद किया जा रहा है. सावन महीने से 10 दिन पहले ही यहां शुद्ध देसी घी का घेवर बनाने काम शुरू हो जाता है. लाला मातूराम की दुकान (Maturam Shop Gohana) पर बनने वाला शुद्ध देसी घी का घेवर मलाइदार होता है. साल 1970 में नीरज के पिता राजेंद्र कुमार ने घेवर बनाने का एक प्रयोग किया. जिसके बाद से घेवर भी लोगों को काफी पसंद आया. धीरे-धीरे दूसरे राज्यों के लोग भी यहां घेवर लेने के लिए आने लगे.
गोहाना के जलेब के बाद दूध, देसी घी और दही से बना घेवर विदेश तक हुआ मशहूर विदेशों में भी रह रहे भारतीय मूल के लोग यहां से काफी घेवर लेकर जाते हैं. यहां पर दूध, देसी घी और दही से स्पेशल घवेर तैयार किया जाता है. फिर उसके ऊपर दूध से तैयार मलाई लगाई जाती है. इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए पिस्ता, काजू बदाम डाले जाते हैं. यहां एक किलो मावे घवेर की कीमत 520 रुपये है. सावन के सीजन में लाला मातूराम की दुकान पर बने देसी घी का घेवर विदेशों तक पसंद किया जा रहा है.
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लोगों का मानना है कि जो स्वाद इनके घवेर में है. वो कहीं ओर नहीं मिलता. यहां घेवर लेने आए एक किसान ने बताया कि वो धान की फसल लगाने के तुरंत बाद यहां घेवर खाने आए हैं. क्योंकि यहां का घेवर बहुत स्वादिष्ट है. बलजीत नाम के स्थानीय निवासी ने बताया कि वो गन्नौर में रहते हैं. जब भी उनका यहां से आना-जाना होता है तो वो यहां का घेवर आर जलेबी खाने जरूर आते हैं.