गोहाना: कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार मजदूरों पर पड़ी है. ज्यादातर मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. ऐसे में सबसे बड़ा संकट उद्योग जगत के साथ किसानों पर भी धान की खेती का संकट खड़ा हो गया. मजदूरों के पलायन की वजह से किसानों को धान की रोपाई में बहुत परेशानी हो रही थी. लेकिन अब किसानों ने इसका समाधान ढूंढ लिया है.
किसान अब मजदूरों की जगह डीएसआर यानी डायरेक्ट सीडिंग राइस नाम की मशीन का इस्तेमाल धान की रोपाई के लिए कर रहे हैं. मजदूर जहां एक एकड़ में धान की रोपाई करने के लिए एक दिन का समय लेते थे वहीं ये मशीन एक एकड़ में धान की रोपाई मात्र 30 मिनट में कर देती है. इससे किसानों के पैसों की बचत भी भरपूर होती है और वक्त भी बचता है.
प्रति एकड़ कितने रुपए लेते थे मजदूर?
प्रति एकड़ के हिसाब से मजदूर पहले 2000 से 2500 रुपए धान की रोपाई के लिए लेते थे. 6 से 8 मजदूर 1 दिन में प्रति एकड़ धान की फसल की रोपाई करते थे. अब ज्यादातर मजदूर पलायन कर चुके हैं. जो मजदूर बचे भी हैं वो प्रति एकड़ 4 से 5 हजार रुपये के हिसाब से काम कर रहे हैं. डीसीएलआर मशीन से किसानों का काम पहले के मुकाबले ज्यादा आसान हुआ है.
क्या है डीएसआर मशीन?
- डीएसआर मशीन दो प्रकार की होती हैं. इसमें एक ओवरऑल मशीन होती है. जिसको धान, गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का, और चना जैसी खेती के लिए किया जाता है. इस मशीन की कीमत 80 हजार रुपए है. सरकार इसपर किसानों को 10 से लेकर 20 प्रतिशत तक की सब्सिडी छूट दे रही है.
- दूसरी मशीन सिर्फ धान रोपाई के लिए ही बनाई गई है. जो सिर्फ धान रोपाई करेगी. एग्रीकल्चर मार्केट से इसकी कीमत 70 हजार रुपये है. इस पर भी हरियाणा सरकार किसानों को सब्सिडी दे रही है.
क्या है मशीन की खासियत?