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Published : Nov 4, 2021, 5:40 PM IST

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पूरी तरह से केजीपी-केएमपी एक्सप्रेस-वे जाम करने की योजना बना रहे हैं किसान!

Farmers Meeting For Making Strategy: कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसानों ने तय किया है कि वो सरकार के विरोध में आगे की रणनीति बनाने के लिए 7 से 9 नवंबर तक बैठक करेंगे. किसान इस दौरान एक्सप्रेस-वे जाम करने की रणनीति भी बनाएंगे.

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किसान सरकार के विरोध में आगे की रणनीति बनाने के लिए 7 से 9 नवंबर तक बैठक करेंगे.

सोनीपत:तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers Protest Against Farms Laws) लगातार जारी है. सरकार और किसान नेताओं के बीच में 12 दौर की बातचीत के बाद कोई भी बैठक नहीं हुई है. जिसके बाद अब 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है. इससे पहले 7 नवंबर को हरियाणा संगठन और 8 नवंबर को पंजाब संगठन एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि किसान अब केजीपी-केएमपी को रोकने की योजना बना सकते हैं.

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन 24 नवंबर 2020 को दिल्ली की सीमा पर पहुंच गया. किसान पंजाब से यह कहकर निकले थे कि वह दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में सरकार को घेरेंगे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने 26 नवंबर 2020 को किसानों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा पर ही रोक दिया. किसान नेताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर ही अपने आंदोलन को चलाने का फैसला लिया, लेकिन इसी बीच सरकार और किसान संगठनों (Farmers and Government Meeting) के बीच में 12 दौर की एक लंबी वार्तालाप भी हुई.

कुल 12 दौर की वार्तालाप के बाद सरकार और किसानों के बीच हुए वार्तालाप पर एक डेडलॉक लगा हुआ है. 26 नवंबर 2021 को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है जिसके चलते किसानो के अलग-अलग संगठन इस किसान आंदोलन को और तेज करने की रणनीति बना रहे हैं. सरकार पर दबाव बनाया जा सके और यह तीनों कृषि कानून वापस हो. गुरुवार को पंजाब के एक बड़े किसान नेता मनजीत राय ने कहा कि 9 तारीख को संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक में यह भी चर्चा करेंगे कि क्यों ना अब केएमपी और केजीपी को पूर्ण तरीके से अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया जाए (KGP and KMP jam) ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके.

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उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी गिरावट पर बोलते हुए कहा कि फीस 35 से 40 रुपये दाम बढ़ाकर पांच और 10 रुपये कम कर देना यह नाइंसाफी है. सरकार को चाहिए कि उन द्वारा लगाया गया टैक्स हटा दिया जाए, अभय सिंह चौटाला की से दोबारा इस्तीफा दिए जाने वाले बयान पर कहा कि इस्तीफा दिए जाने के बाद दोबारा चुनाव होंगे जिससे सरकार और देश पर आर्थिक प्रभाव पड़ेगा. हम चाहते हैं कि वह इस्तीफा न दें बल्कि किसान आंदोलन का समर्थन करते रहें.

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