सोनीपतः जिला प्रशासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए सरेआम गेहूं के बचे अवशेष जलाया जा रहे हैं. प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. गेहूं के बचे अवशेष को जलाने से वातावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है. धुएं से वातावरण इतना प्रदूषित हो रहा है कि आस पास में रह रहे लोगों को सांस संबंधित बीमारियां घेर रही हैं, लेकिन आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों की परवाह न करते हुए किसान सरेआम गेहूं के बचे अवशेष को आग के हवाले कर रहे हैं.
खेतों में किसानों ने लगाई आग सजा का है प्रावधान
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार सेटेलाइट से ऐसे स्थानों की पहचान कर उनके खिलाफ नोटिस भेजे जा रहे हैं. फसल अवशेषों में आग लगाना एक अपराध है जिसके लिए जुर्माने के साथ साथ सजा का भी प्रावधान है.
गेहूं काटने के बाद किसान अगली फसल की बिजाई करने के लिए बचे हुए अवशेष को आग लगा रहा है, अगली फसल की बिजाई में जल्दबाजी करने के चक्कर मे किसान गेहूं के फ़ानों में आग लगा देता है. समय की बचत और मजदुर न मिलने के कारण आज 80 % किसान कम्बाईन से गेहूँ कटवा रहे हैं.
कुछ समझदार किसान इन बचे हुए फानों से रैपर द्वारा तूड़ी बनवाकर बेच देता है या पशुओं के लिए इस्तेमाल करने में ले लेता है, लेकिन बड़े जमीदार किसान फानों की तूड़ी ना बनवाकर कई एकड़ जमीन पर फानों में आग लगा देता है. ऐसा करने वालों की संख्या कम नहीं है. अनुमान है कि हर 33 प्रतिशत से ज्यादा किसान फानों में आग लगा रहा है.
क्षेत्र में कई गांव में खेत रोड से सटे हुए हैं. जहां गेहूं काटने के उपरांत बचे हुए अवशेष को किसान आग लगा देते हैं. इस वजह से रोड पर चलने वाले टू व्हीलर और फोर व्हीलर को बहुत ज्यादा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं. कई बार तेज आंधी की वजह से आग की लपटें आधे रोड तक पहंच जाती हैं और धुंआ ही धुंआ फैल जाता है. इस धूंए से सड़के के दोनों तरफ वाहनों को बीच में ही रोकना पड़ता है. हालात ये भी हैं कि बाइक चालकों का धुंए के कारण दम भी घुटने लगता है.