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बढ़ती गर्मी को देखते हुए सोनीपत सिंघु बॉर्डर पर किसान बना रहे पक्का मकान

बढ़ती गर्मी को देखते हुए सिंधु बॉर्डर पर किसान संगठनों ने सड़क के बीच पक्का मकान बनाना शुरू कर दिया है. सिंघु बॉर्डर पर दोआबा किसान संगठन से जुड़े किसानों ने ईंटों को जोड़ कर सड़क पर ही पक्का मकान बनवाना शुरू कर दिया है.

farmers are making permanent houses on sonipat Singhu border
बढ़ती गर्मी को देखते हुए सोनीपत सिंघु बॉर्डर पर किसान बना रहे पक्का मकान

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Published : Mar 13, 2021, 2:13 PM IST

सोनीपत:सोनीपत के सिंघु बॉर्डर पर लगातार किसानों का आंदोलन जारी है. अब आगे की रणनीति को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से आह्वान भी कर दिया गया है. वहीं बढ़ती गर्मी को देखते हुए सिंधु बॉर्डर पर किसान संगठनों ने सड़क के बीच पक्का मकान बनाना शुरू कर दिया है. सिंघु बॉर्डर पर दोआबा किसान संगठन से जुड़े किसानों ने ईंटों को जोड़ कर सड़क पर ही पक्का मकान बनवाना शुरू कर दिया है. मकान बनाने के लिए ईंट से लेकर मिस्त्री तक पंजाब से बुलवाए गए हैं.

किसानों ने बताया कि ये दो मंजिला मकान की नींव रखी गई है और इसमें तीन कमरे बनाए जाएंगे. जिसमें बड़े बुजुर्गों, महिलाओं और युवा किसानों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं होंगी. वहीं मकान में घर की तरह सभी सुविधाएं भी यहां पर मुहैया कराई जाएंगी. किसानों का कहना है कि सरकार चाहे आप कितना भी समय लगा ले, लेकिन जब तक तीनों किसी कानून रद्द नहीं करेगी. जब तक वो सिंघु बॉर्डर हो या कोई भी बॉर्डर अपने घर वापस नहीं जाएंगे.

बढ़ती गर्मी को देखते हुए सोनीपत सिंघु बॉर्डर पर किसान बना रहे पक्का मकान

वहीं इस मकान को बना रहे गुरमीत सिंह का कहना है कि वो भारतीय किसान यूनियन दोआबा से हैं और सरकार उनकी मांग पूरी नहीं कर रही है. सर्दी तो हमने निकाल दी, लेकिन गर्मी में परेशानी बहुत ज्यादा होगी. क्योंकि यहां पर गर्मी बहुत ज्यादा होती है और गर्मी से बचने के लिए ही अब हम बॉर्डर पर ही मकान बना रहे हैं. ये मकान 60 बाई 20 का होगा और इसमें तीन कमरे बनाए जाएंगे. जिनमें सभी के रुकने के अलग-अलग व्यवस्थाएं होंगी.

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उन्होंने बताया कि ये दो मंजिला मकान होगा और इसकी शुरुआत की गई है. इससे आगे भी और मकान बनाए जाएंगे. मकान में एसी, फ्रिज, पंखे सभी व्यवस्थाएं होंगी. वही गुरमीत ने कहा कि 100 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन सरकार हमारी मांग नहीं मान रही है और बातचीत की बात तो कह रही है, लेकिन बातचीत भी नहीं कर रही है.

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बहुत से किसानों की शहादत भी हो चुकी है, लेकिन सरकार फिर भी नहीं झुक रही है. अब उनके इरादे घर जाने के नहीं है. इसीलिए वो मकान बना रहे हैं, लेकिन जिस दिन उनकी मांग पूरी हो जाएगी. वो अपने मकान की एक-एक ईंट लेकर यहां से चले जाएंगे, लेकिन जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी. जब तक वह बॉर्डर पर रहकर ही अपना आंदोलन जारी रखेंगे. चाहे सरकार कितना भी समय लगा ले.

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