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किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दी श्रद्धांजलि

किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए हरियाणा और पंजाब के किसान सोनीपत राजीव गांधी एजुकेशन सिटी पहुंचे. हजारों की संख्या में किसान एकजुट होकर अपनी मांगों को एक बार फिर से सरकार के सामने रखा. साथ ही मांगे न मानने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.

farmer movement in Sonipat
farmer movement in Sonipat

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Published : Dec 11, 2022, 2:33 PM IST

सोनीपत: केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन करीब एक साल तक चला. पिछले साल 11 नवंबर 2021 को दिल्ली की सीमाओं को छोड़कर किसान वापस लौट गए थे, लेकिन आज फिर सोनीपत के राई स्थित राजीव गांधी एजुकेशन सिटी में किसान अपनी मांगों को लेकर एकजुट हुए और किसान आंदोलन में जान गवाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

सोनीपत राजीव गांधी एजुकेशन सिटी (Sonipat Rajiv Gandhi Education City) के मुख्य गेट पर हजारों की संख्या में किसान अपनी मांगों को लेकर एकजुट हुए. बता दें कि किसान 26 नवंबर 2020 को प्रदर्शन करने दिल्ली जा रहे थे. तब सरकार ने उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर ही रोक दिया था. 26 नवंबर 2020 से लेकर 11 नवंबर 2021 तक किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर ही आंदोलन किया था.

किसान आंदोलन में सैकड़ों की संख्या में किसानों की मौत हो गई थी, जिन्हें किसान शहीद मान रहे हैं. आज उन शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए किसान राजीव गांधी एजुकेशन सिटी सोनीपत में एकजुट हुए. किसानों की मांगें हैं कि जो सरकार ने उनसे वादे किए थे, किसान आंदोलन के दौरान उन्हें पूरा नहीं किया है. और जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करेगी तब तक हम किसी ना किसी स्वरूप में किसान आंदोलन को जारी रखेंगे. किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगे जल्द नहीं मानी तो किसान आंदोलन एक बार फिर चरम सीमा पर (farmer movement in Sonipat) होगा.

किसानों का सरकार पर आरोप है कि केवल तीन कृषि कानूनों को ही वापस लिया गया था लेकिन जो अन्य मांगे थीं, जैसे एमएसपी गारंटी कानून बनाना, लखीमपुर खीरी में जो कांड हुआ उसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उसके पद से हटाना और कुछ अन्य मांगें भी थीं, जिन्हें सरकार ने नहीं मानी. किसानों का कहना है कि अब वह फिर से एकजुट होकर आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

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