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कोविड-19 को रोकने में कारगर भूमिका अदा कर रही है कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल

हरियाणा में कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने में कारगर भूमिका अदा कर रही है. इनके द्वारा अभी तक 263 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ट्रेस किया जा चुका है.

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कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल सोनीपत

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Published : Jun 15, 2020, 9:27 PM IST

Updated : Jun 15, 2020, 9:51 PM IST

सोनीपत: वैश्विक महामारी कोविड-19 की रोकथाम और फैलाव को रोकने की दिशा में कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल कारगर भूमिका अदा कर रही है. उपायुक्त श्याम लाल पूनिया के निर्देशन में सरल केंद्र में सेल की स्थापना की गई है. सेल की कमान अंडर ट्रेनी आईएएस अधिकारी सलोनी शर्मा को सौंपी गई है, जिनके नेतृत्व में अभी तक 263 कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ट्रेस किया जा चुका है.

उपायुक्त श्याम लाल पूनिया कहते हैं कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जरूरी है कि पॉजिटिव मरीजों की तुरंत प्रभाव से पहचान कर क्वारंटाइन किया जाए. साथ ही पॉजिटिव मरीजों के कांटेक्ट को भी ट्रेस करना अति आवश्यक है. ऐसा करके इसके फैलाव को रोका जा सकता है. यही कारण है कि जिला प्रशासन ने कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल का गठन किया है.

नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा के अनुसार कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल 4 जून से क्रियान्वित की गई है. तब से अब तक सेल की सहायता से 263 पॉजिटिव मरीजों को ट्रेस किया जा चुका है. साथ ही पॉजिटिव मरीजों के 794 कांटेक्ट भी ट्रेस किए गए हैं.

कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल

कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल की नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा के नेतृत्व में डॉ. मनीष (आईडीएसपी विभाग के पब्लिक हैल्थ मैनेजर) को सेल का प्रभारी नियुक्त किया गया है. इनके अंतर्गत 12 लोगों की समर्पित टीम कार्यरत है, जिसमें शिक्षा विभाग के कंप्यूटर कर्मचारी व शिक्षकगण शामिल हैं. इन्हें दो टीमों (छह-छह व्यक्ति एक टीम में) में बांटा गया है. एक टीम केस ट्रेसिंग व कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए कॉलिंग का काम करती है तथा दूसरी टीम कंप्यूटर पर कांटेक्ट ट्रेसिंग संबंधित फॉरमेट तैयार करती है.

हाई रिस्क-लो रिस्क संपर्कों की करते हैं सूची तैयार

नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा के अनुसार कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल के माध्यम से पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों की दो सूची तैयार की जाती है. एक सूची में हाई रिस्क तथा दूसरी सूची में लो-रिस्क मरीज शामिल किए जाते हैं. हाई-रिस्क में वे लोग होते हैं जो पॉजिटिव मरीज के सीधे संपर्क में आते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से परिजन व सिंप्टोमेटिक व्यक्ति होते हैं.

लो-रिस्क में कार्यक्षेत्र व पड़ोस के लोग शामिल किए जाते हैं. सूची में शामिल लोगों को 14 से 28 दिन के होम क्वारंटाइन की जानकारी दी जाती है. पहले 14 दिनों तक लगातार मॉनिटरिंग की जाती है. इसके बाद के दिनों में सेल्फ मॉनिटरिंग को शामिल किया गया है. मरीजों को सैंपलिंग की जानकारी भी दी जाती है. यदि मरीजों में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें अस्पताल में स्थानांतरित करवाया जाता है.

दो से तीन घंटों में 30 से 40 केस कर सकते हैं ट्रेस

सेल के प्रभारी डॉ. मनीष बताते हैं कि कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल दो से तीन घंटों में 30 से 40 पॉजिटिव केस ट्रेस कर सकती हैं. इसके बाद इनके कांटेक्ट ट्रेस किए जाते हैं, जिसके लिए फोन पर सीधा संपर्क साधा जाता है. जो मरीज अपने कांटेक्ट छिपाते हैं उनकी सीडीआर (कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड) निकलवाई जाती है. सीडीआर निकालने में पुलिस की मदद ली जाती है. इसके अलावा क्षेत्रीय स्तर पर भी जानकारी ली जाती है, जिसमें एएनएम व आशा वर्कर और एमपीएचडब्ल्यू सहायता करते हैं. इस प्रकार पॉजिटिव मरीज के संदर्भ में जानकारी को पुख्ता किया जाता है.

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Last Updated : Jun 15, 2020, 9:51 PM IST

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