बरोदा:हरियाणा के बरोदा विधानसभा में सिर्फ तीन हफ्तों के बाद उपचुनाव होने वाला है. ऐसे में इस बरोदा सीट को लेकर सभी पार्टियां मैदान में हैं. सत्तासीन बीजेपी-जेजेपी पार्टी इस सीट पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने वाली है, वहीं कांग्रेस और इनेलों ने भी बरोदा में मोर्चा संभाल लिया है. रोजगार, बिजली-पानी, सड़क जैसे तमाम मुद्दों पर विपक्ष बीजेपी-जेजेपी को घेरने की तैयारी में है, लेकिन इन तमाम मुद्दों की इस लड़ाई में सबसे बड़ा मुद्दा किसानों का है.
केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए तीनों कृषि कानूनों का पूरे देश में विरोध हो रहा है. बरोदा सीट में तमाम विपक्षी पार्टियों को टक्कर देने के लिए बरोदा के मैदान में भारतीय किसान यूनियन ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. भाकियू के उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने भी मंगलवार को उप चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए इलेक्शन कार्यालय से फार्म भी ले लिया.
उन्होंने कहा कि इस फार्म में जो शर्तें लिखी हुई हैं उसे पूरा करके 15 या 16 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करूंगा. उन्होंने कहा कि जनता भी प्रदेश की झूठी सरकार से छुटकारा पाना चाहती है और भारतीय किसान यूनियन जनता का दुख दर्द समझती है. इसलिए हम प्रदेश की गठबंधन सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का काम करेंगे.
क्या किसानों को किसी पार्टी पर भरोसा नहीं?
अभी तक किसानों के नाम पर तमाम राजनीतिक दल सरकार को घेरने का काम करते हैं, लेकिन अब किसान संगठन की तरफ से राजनीतिक पार्टियों के सामने खुद एक उम्मीदवार उतारना बड़ा संदेश देता है. अब किसान संगठन किसी भी राजनीतिक दल के भरोसे ना बैठकर सरकार को संदेश देना चाहती है कि उनके हित में काम नहीं हो रहे हैं और अब वो अपनी लड़ाई अपने प्रतिनिधी के जरिए लड़ेंगे.
क्या ये उपचुनाव बन जाएगा सरकार बनाम किसान?
करीब दो महीने से किसान इन कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे हैं. जिसमें किसानों के 250 संगठन शामिल हैं. अब सांसदों के घेराव का प्लान बनाया गया है. बुधवार को कृषि कानून के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा और अन्य किसान संगठनों की तरफ से महापंचायत का आयोजन किया जाएगा.