सोनीपतःशिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश की सरकारें पूरा दमखम दिखाती नजर आती हैं, लेकिन उसके बावजूद स्कूलों के हालात ज्यों के त्यों है. गोहाना के बरोदा गांव के सरकारी स्कूल में तो हालात ये हैं कि यहां 24 कमरे होने के बावजूद बच्चों को बाहर खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पढ़ रहा है.
स्कूल का गेट भी काफी टूटा फूटा है. ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल की हालत देखकर बच्चों को स्कूल भेजने में भी डर लगता है. उनकी मांग है कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर जल्द इस मामले में संज्ञान लें.
टूट-टूटकर गिर रहा है लैंटर
स्कूल की लगभग सारी इमारत जर्जर हो चुकी है. स्कूल की हर दीवार में दरारें आ चुकी हैं. ऐसा कोई गार्डर नहीं बचा है, जिसमें दरार ना आई हो और ज्यादातर गार्डरों से सीमेंट और मसाला अलग होकर झड़ चुका है. दीवारों के स्पोर्ट में केवल खाली सरिए ही दिखाई पड़ते हैं. स्कूलों की ऐसी जर्जर हालते में ही बच्चे रोजाना शिक्षा ग्रहण करते हैं.
स्कूल में 24 कमरे जर्जर हो चुके हैं, जहां कई कमरों की दीवार टूट कर गिर चुकी है तो कई झड़-झड़ के गिर रही है, पंखा टूटकर जमीन पर पड़ा है और तार टूटे पड़े हैं. यहां ना तो बैठने के लिए जगह है और ना ही ठंड और बारिश के मौसम में बचने का कोई साधन.