सोनीपत: देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी में से एक एटलस के सभी प्लांट बंद हो गए हैं. विश्व साइकिल दिवस पर गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित एटलस का आखिरी कारखाना भी बंद कर दिया गया. जिससे कंपनी में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
कैसे शुरू हुई थी एटलस कंपनी?
- जानकी दास कपूर ने बंटवारे के वक्त कराची से सोनीपत आकर 1951 में एटलस साइकिल की नींव डाली थी
- 1952 में एटलस ने पहली साइकिल का उत्पादन किया था
- रोजाना 120 साइकिलें बनाकर मामूली शुरुआत की थी
- बाद में 1 दिन में 12000 साइकिल तक बननी शुरू हो गई
- 25 एकड़ में फैला है सोनीपत प्लांट
- 24 प्रकार की साइकिल यहां बनाई जाती थी
- जिसमें 20 रेंजर साइकिल अलग-अलग डिजाइन में तैयार होती थी
- 4 सिंपल साइकिल अलग-अलग डिजाइन में तैयार की जाती थी
- सोनीपत, गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद और गुजरात के मालनपुर में कंपनी के प्लांट थे
- एटलस कंपनी साइकिलों का निर्यात म्यामांर और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में किया करती थी
जानकी दास कपूर थे संस्थापक
एटलस कंपनी के संस्थापक जानकी दास कपूर थे. उन्होंने 1951 में सोनीपत में एटलस साइकिल हरियाणा कंपनी की नींव डाली थी. एक दिन में 120 साइकिल बनाने से शुरू हुआ काम बाद में एक दिन में 12000 साइकिल बनने तक जा पहुंचा. यहां तीन शिफ्टों में काम होता था और करीब 7000 कर्मचारी काम करते थे.
1967 में जानकी दास नहीं रहे, बेटों ने संभाला काम
जनवरी 1967 में जानकी दास कपूर के देहांत के बाद उनके तीनों बेटों ने साइकिल कंपनी को आगे बढ़ाने का काम किया.
- सोनीपत का प्लांट सबसे बड़े बेटे बिशंबर दास कपूर ने संभाल लिया.
- साहिबाबाद का प्लांट बेटे जयदेव ने संभाल लिया.
- मालनपुर गुजरात वाला प्लांट छोटे बेटे जगदीश कपूर ने संभाला.
- बाद में तीनों बेटों की अलग-अलग संतानों ने सभी प्लांटों को संभालना शुरू कर दिया