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अच्छी खबर: कोरोना नियम पालन करने से गोहाना में ठीक हुए 50 फीसदी टीबी के मरीज

गोहाना सिविल अस्पताल में पहले 450 मरीज टीबी संक्रमित थे. अब घटकर 200 मरीज ही रह गए हैं. नागरिक अस्पताल ने बताया कि मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंस से टीबी के मरीजों को बहुत ज्यादा फायदा मिला है.

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कोरोना नियमों के पालने करने से गोहाना में ठीक हुए 50 फीसदी मरीज

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Published : Feb 23, 2021, 10:33 AM IST

गोहाना:जानलेवा कोरोना वायरस की वजह से जहां भारत में लाखों लोगों की जान चली गई. वहीं जिन लोगों ने कोरोना से बचने के लिए गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन किया उनके स्वास्थ्य पर भी सकारात्म प्रभाव पड़े. मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल करने वाले इन्फेक्शन की वजह से होने वाली बीमारियों से भी बचे. वहीं गोहाना स्वास्थ्य विभाग ने अच्छी खबर दी हैं.

गोहाना स्वास्थ्य विभाग के टीबी यूनिट के इंचार्ज संदीप कुमार ने जानकारी दी है कि मुंह पर मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंस जैसी सावधानियां बरतने से पचास फीसदी टीबी के मरीज जल्दी ठीक हो गए हैं, ये सभी मरीज अब बिल्कुल स्वस्थ हैं.

कोरोना नियम पालन करने से गोहाना में ठीक हुए 50 फीसदी टीबी के मरीज, देखिए वीडियो

टीवी के मरीजों में 50 फीसदी के करीब गिरावट आई है. जिसकी मुख्य वजह सावधानियां बरतना है. कोविड-19 वायरस की वजह से टीबी के मरीजों ने मुंह पर मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंस की सावधानियां अपनाई है. जिसकी वजह से ये गिरावट देखने को मिली है.

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पहले नागरिक हॉस्पिटल में टीबी की दवाई लेने के लिए 450 मरीज आते हैं. अब घटकर 200 मरीज रह गए हैं. जो दवाई लेने के लिए गोहाना नागरिक हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं. मुंह पर मास्क लगाने से और सोशल डिस्टेंस से टीबी के मरीजों को बहुत ज्यादा फायदा मिला है.

क्या होती है टीबी की बीमारी

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है. इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है. फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है.

सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है. टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं. फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती. टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है. इसलिए टीबी के आसार नजर आने पर जांच करानी चाहिए.

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