सिरसा: भारतीय संस्कृति में नारी सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है. यहां तक कि वेदों में भी लिखा है कि 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता:', अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का निवास माना जाता है. इतना ही नहीं नारी को बलिदान का रूप भी कहा जाता है. अगर भारतीय इतिहास को खंगाला जाए, तो महिलाओं द्वारा किए गए कई ऐसे कार्य है जिनकी बदौलत नारियों ने अपनी अलग पहचान बना ली है. चाहे उनमें रानी लक्ष्मीबाई हो, कल्पना चावला हो, सुष्मा स्वराज हो, लता मंगेशकर हो. इन सबने महिला शक्ति को एक अलग ही बल प्रदान करने का काम किया है. जिसकी बदौलत आज महिलाएं किसी की मोहताज नहीं रह गई है. आज हम आपको सिरसा की एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने आसपास के क्षेत्र में अलग ही मिसाल कायम कर दी है.
प्रदेश के लिए मिसाल बनीं ये महिला किसान-सिरसा जिले के ऐलनाबाद क्षेत्र के गांव कर्मशाना की रहने वाली महिला किसान सुमित्रा ने पिछले साल ही झींगा मछली पालन (Sirsa prawn fish farming) का व्यवसाय शुरू किया है. सुमित्रा को इससे परम्परागत खेती से कई गुना ज्यादा मुनाफा हुआ. ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव कर्मशाना में जाकर महिला किसान सुमित्रा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि महिलाओं के लिए अपना व्यवसाय शुरू करना आसान नहीं है, लेकिन उन्होंने किया है. पिछले साल ही झींगा मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया था. उन्होंने बताया कि पिछले साल ढाई एकड़ में उन्होंने यह व्यवसाय किया था. मुनाफे को देखते हुए इस बार वह 5 एकड़ में काम शुरू करेंगी.
हालांकि झींगा मछली का व्यवसाय अप्रैल के महीने से शुरू होता है, लेकिन सुमित्रा द्वारा अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. जिले में सुमित्रा के साथ-साथ जिन किसानों ने झींगा मछली उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया, उनमें से सुमित्रा ने अव्वल स्थान प्राप्त किया. जिसके बाद सुमित्रा को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा सम्मानित भी किया गया था. उन्होंने बताया कि हमें इंटरनेट, अखबार व मेलों के माध्यम से इस व्यवसाय के बारे में पता चला. जिसके बाद हमने मत्स्य विभाग के अधिकारियों से इस विषय को लेकर बातचीत की तो उन्होंने हमें विस्तार से समझाया. इसके बाद हमने ये व्यवसाय शुरू किया था.
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