सिरसा:हरियाणा के छात्र एक बार फिर सरकार से नाराज हैं. ये नाराजगी उस फैसले को लेकर है जिसके तहत सरकार ने प्रदेश की यूनिवर्सिटी को ग्रांट की जगह लोने देने का फैसला किया है. इस फैसले के तहत सरकार ने विश्वविद्यालयोंं को मिलने वाले सरकारी अनुदान पर कैंची चलाते हुए उन्हें इसके बदले कर्ज देने का फैसला किया है. इस कर्ज की निश्चित समय में वसूली की जायेगी. यानि विश्विद्यालयों को अपना खर्चा खुद उठाना होगा. छात्र सरकार के इसी फैसले से नाराज हैं. मंगलवार को चौधरी देवी लाल यूनिवर्सिटी सिरसा (Chaudhary Devi Lal University Sirsa) के छात्र विश्वविद्यालय परिसर में एकत्रित हुए और उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा.
अपने ज्ञापन के जरिए छात्रों ने सरकार से मांग की है कि यूनिवर्सिटियों का निजीकरण न किया जाए और लोन देने की बजाए पहले की तर्ज पर ग्रांट दी जाए. छात्रों का कहना है कि सरकार उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. लोन के जरिए यूनिवर्सिटी पर बोझ बढ़ाने से पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित होगी. प्रदेश के कई विश्विद्यालय पहले से आर्थिक रूप से समस्या का सामना कर रहे हैं. इस फैसले से विश्विद्यालयों के आगे और संकट खड़ा हो जायेगा जिसका असर छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा. छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेश में बड़ा आंदलोन किया जायेगा.
विश्विद्यालयों को ग्रांट की जगह लोने देने के फैसले पर बवाल, छात्रों ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी सरकार ने यूनिवर्सिटियों को लोन देने का जो फैसला लिया है उसका विद्यार्थी पूरी तरह विरोध करते हैं. अगर यूनिवर्सिटी को लोन दिया जाएगा तो यूनिवर्सिटी पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. जिसको कम करने के लिये यूनिवर्सिटी छात्रों की फीस बढ़ाएगी. आर्थिक रूप से कमजोर छात्र यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने में समर्थ नहीं होंगे. इस फैसले का सीधा-सीधा असर विद्यार्थियों पर पड़ेगा. प्रदेश सरकार का मकसद यूनिवर्सिटी को प्राइवेट करने का है. इसलिये राज्यपाल को भेजे जा रहे ज्ञापन में वो ये मांग करते हैं कि यूनिवर्सिटियों को पहले की तर्ज पर ग्रांट दी जाए. रविन्द्र कुमार, छात्र नेता, देवीलाल यूनिवर्सिटी, सिरसा
हरियाणा में यूनिवर्सिटी को लोने देने का मामला-दरअसल हाल ही में हरियाणा सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश के सरकारी विश्विद्यालयों को अुनदान की जगह लोन देने का फैसला किया है. लोन देने का मतलब हुआ कि विश्विद्यालय अपना खर्चा खुद उठायेंगे. सरकार हर साल प्रशासनिक और शैक्षणिक सहित विश्विद्यालय विकास के लिए करोड़ों रुपये का अुनदान दिया करती थी. यूनिवर्सिटी को मिलने वाली इस ग्रांट की रिकवरी नहीं होती थी. ये पैसा विश्विद्यालयों के विकास के लिए सरकारी मदद के तौर पर दिया जाता था. लेकिन अब अनुदान की जगह विश्विद्यालयों को ऋण दिया जायेगा. ये ऋण निश्चित समय में वापस करना होगा.
सिरसा में छात्रों ने राज्यपाल के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा 10 विश्विद्यालयों को मिले लोन- सरकार की ओर से पहले चरण में प्रदेश की 10 यूनिवर्सिटी को करीब 148 करोड़ रुपये ऋण के रूप में मंजूर भी कर दिये गये हैं. सीएमओ की मंजूरी के बाद वित्त विभाग ने इन सभी विश्वविद्यालयों के लिए लोन राशि मंजूर करने की चिट्ठी भी जारी कर दी है. सबसे ज्यादा 59 करोड़ लोन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लिए मंजूर किया गया है. इसके अलावा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक (MDU Rohtak) को 23 करोड़ 75 लाख रुपये दिया गया है. बीपीएस महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां सोनीपत के लिए 12.50 करोड़ रुपये, चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा और चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं.
छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं-छात्रों का कहना है कि पहले जो मदद विश्विद्यालयों को दी जाती थी इसकी रिकवरी नहीं होती थी. इसके चलते गरीब घर के छात्र आसानी से पढ़ाई कर पाते थे. अब लोन के रूप में पैसा देकर उसकी वसूली करने से विश्विद्यालयों पर बोझ पड़ेगा. यूनिवर्सिटी इसकी वसूली छात्रों से करेंगी. जिससे पढ़ाई की फीस महंगी हो जायेगी. छात्रों को चिंता है कि सरकार का ये फैसला विश्विद्यालयों के निजीकरण करने के मकसद से किया गया है.