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हरियाणा के इस लाल का 45 दिन बाद मिला था पार्थिव शरीर, करगिल में दिखाया था अद्भुत शौर्य - करगिल शहीद कृष्ण कुमार सिरसा

करगिल विजय दिवस, ये वही दिन है जब देश के 527 रणबांकुरों ने सीमा पर अपनी बहादुरी से पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. इस जंग में हरियाणा के भी कई लाल शहीद हुए थे. जिनमें सिरसा के गांव तरकांवाली के सिपाही शहीद कृष्ण कुमार ने भी देश के खातिर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. इस दिन को याद करते हुए शहीद कृष्ण कुमार के गांव के हर युवा का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.

kargil martyr krishna kumar story
kargil martyr krishna kumar story

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Published : Jul 24, 2020, 7:07 PM IST

Updated : Jul 24, 2020, 8:35 PM IST

सिरसा: करगिल विजय दिवस, 26 जुलाई 2020 को 21 साल पूरे होने जा रहे हैं. हरियाणा के भी कई वीर सपूतों ने करगिल युद्ध के दौरान अपना बलिदान दिया था. सिरसा के गांव तरकांवाली के रहने वाल शहीद सिपाही कृष्ण कुमार भी उनमें से एक थे. शहीद कृष्ण कुमार ने करगिल युद्ध में अपने शौर्य जबरदस्त पराक्रम दिखाया था. कृष्ण कुमार ने अकेले ही 10 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था.

शहादत के 45 दिन बाद मिला था शहीद का पार्थिव शरीर

कृष्ण कुमार सबसे दुर्गम चोटी टाइगर हिल्स पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए 30 मई 1999 को शहीद हो गए थे. भीषण गोलीबारी और भारी बर्फबारी के कारण सेना कृष्ण कुमार का पार्थिव शरीर उनकी शहादत के के 45 दिन बाद बरामद कर पाई थी. जब उनका पार्थिव शरीर उनके गांव लाया गया था तो लोगों का हुजुम उमड़ पड़ा था. हर किसी की आंखें नम थी, लेकिन गर्व था कि गांव का बेटा देश के काम आया था.

सिपाही शहीद कृष्ण कुमार ने करगिल युद्ध में जबरदस्त पराक्रम दिखाया था, देखिए ये विशेष रिपोर्ट.

गांव तरकांवाली के किसान जयसिंह बांदर के 25 वर्षीय पुत्र कृष्ण कुमार कारगिल युद्ध के समय जाट रैजिमेंट में सिपाही के पद पर तैनात थे. शहीद कृष्ण कुमार चार भाइयों में सबसे छोटे थे. बचपन से ही उनके अंदर देश सेवा का जज्बा था. छोटी उम्र में वो कहा करते थे कि आर्मी में जाकर देश की सेवा करनी है. कृष्ण कुमार 1997 में सेना की जाट रैजिमेंट में भर्ती हुए थे. जिस समय करगिल का युद्ध शुरू हुआ तब कृष्ण कुमार अपने घर छुटी पर आए हुए थे, लेकिन उन्हें अचानक उनके पास मेसेज आया कि करगिल में युद्ध शुरू हो गया है और वे देश के लिए लड़ने के लिए चले गए.

बचपन से ही सेना में जाने का था जुनून

कृष्ण कुमार के बचपन के साथी पवन ने बताया कि वे स्वभाव से बहुत अच्छे थे और बचपन से ही उनमें देश सेवा और फौज में जाने का जुनून था. कृष्ण कुमार के शहीद होने के 45 दिनों बाद उनका पार्थिव शरीर गांव आया था. उनके परिवार और गांव को उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए डेढ़ महीने तक का लंबा इंतजार करना पड़ा था, लेकिन डेढ़ महीने बाद जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को गांव में लाया गया तो पूरा गांव गमगीन हो गया और आसपास के सभी गांव के लोगों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी. पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने भी उनके घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी.

गांव और परिवार को बेटे की शहादत पर है बेहद गर्व

जब कृष्ण कुमार शहीद हुए थे तब उनकी उम्र 25 साल थी. परिवार के लोग आज भी कृष्ण कुमार की शहादत को याद करते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं, लेकिन बेटे के बलिदान पर बेहद गर्व है, और शहीद के परिवार के लिए गर्व से बढ़कर कुछ भी नहीं. कृष्ण कुमार के शहीद होने के बाद पूरा परिवार टूट चुका था. ऐसे में उनकी पत्नी संतोष ने पहले खुद को और फिर परिवार को संभाला. कृष्ण कुमार और संतोष का कोई बच्चा नहीं था. आज भी शहीद पति की याद में संतोष अपना जीवन बिता रही हैं. शहीद की पत्नी संतोष ने नम आंखों से बताया कि पति की शहादत की खबर मिलने के डेढ़ महीने बाद उनका पार्थिव शरीर मिला था. आज भी उनकी याद आती है, लेकिन उनकी शहादत पर हमें बेहद गर्व है. उनसे प्रेरित होकर आज भी गांव के कई युवा सेना में भर्ती होते हैं.

घर वापस लौटने का वादा किया, लेकिन आने का अन्दाज निराला था

उनकी शहादत को सम्मान देते हुए तत्कालीन सरकार ने अनेक वादे और घोषणाएं की थी. जिसमें उनके बड़े भाई बलजीत को सरकारी नौकरी और पत्नी संतोष के नाम एक गैस एजेंसी दी गई थी. वहीं गांव के स्कूल का नाम भी शहीद कृष्ण के नाम पर रखा गया था. माता-पिता, परिवार, दोस्त यार आज भी सब शहीद कृष्ण कुमार को याद करते हैं. कृष्ण कुमार ने अपने घरवालों से वापस लौटकर आने का वादा किया था, जो उन्होंने निभाया भी, मगर उनके आने का अन्दाज निराला था. वे लौटे, मगर लकड़ी के ताबूत में. उसी तिरंगे में लिपटे हुए, जिसकी रक्षा की सौगन्ध उन्होंने उठाई थी. जिस राष्ट्रध्वज के आगे कभी उनका माथा सम्मान से झुका होता था, वही तिरंगा मातृभूमि के इस जांबाज से लिपटकर उसकी गौरव गाथा का बखान कर रहा था. ईटीवी भारत शहीद कृष्ण कुमार समेत हर वीर सैनिक की शहादत को सलाम करता है, जय हिंद.

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Last Updated : Jul 24, 2020, 8:35 PM IST

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