सिरसा:हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 का शोर बढ़ता ही जा है. चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से प्रदेश भर ने नेता चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. इस बीच जनता की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है. सिरसा के गांव कुत्ताबढ़ में ग्रामीणों ने गांव में पक्का पुल नहीं बनने से नाराज होकर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का फैसला
कुत्ताबढ़ गांव सिरसा जिले के ऐलनाबाद हलके में आता है. जहां से विधायक इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले 30 सालों से किसी भी नेता ने गांव में पक्का पुल बनाने की कोई सुध नहीं ली. जिस कारण इस बार के विधानसभा चुनाव में कोई भी ग्रामीण वोट नहीं करेगा.
पुल की मांग करते सिरसा के गांव कुत्ताबढ़ के लोग ग्रामीण कर रहे पुल की मांग
गांव कुत्ताबढ़ के लोग काफी लंबे समय से घग्घर नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, जिस पर सिर्फ लोगों को चुनाव में आश्वासन ही मिला है. लगभग तीन दशकों से सत्ता में आने वाली हर सरकार के समक्ष कुत्ताबढ़ के ग्रामीणों ने फल्डी नहर पर पुल बनाए जाने की गुहार लगाई लेकिन आश्वासनों का झुनझुना थमाए जाने के सिवाय आज तक कुछ भी हाथ नहीं लगा है.
नेताओं के आश्वासन पर पुल निर्माण कार्य शुरू
ग्रामीणों ने इससे पहले भी लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन ही चुनाव का बहिष्कार कर वोटिंग बंद करवा दी थी लेकिन सिरसा के उपायुक्त प्रभजोत सिंह और उस समय की बीजेपी उम्मीदवार सुनीता दुग्गल ने गांव में पहुंचकर लोगों को आश्वस्त किया था कि आचार संहिता हटते ही सर्वप्रथम इस पुल का निर्माण शुरू करवा दिया जाएगा. जिसके उपरांत गांव वासियों ने उच्चाधिकारियों और सांसद सुनीता दुग्गल पर विश्वास जताते हुए मतदान आरंभ किया था.
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30 सालों से कर रही पुल की मांग
ग्रामीणों ने कहा कि गांव में पक्का पुल बनाने की मांग वे पिछले 30 सालों से कर रहे है, लेकिन अभी तक किसी भी नेता ने उनकी सुध नहीं ली जिस कारण उनकी समस्या ज्यो की त्यों है. इस कच्चे पुल पर वाहन चलाना काफी रिस्क भरा है. कभी भी कोई हादसा हो सकता है. गांव में पक्का पुल बनाने की मांग कई बार नेताओं के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों से कर चुके है लेकिन अभी तक उनके गांव में पुल बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है.
बरसात के दिनों में होता है रास्ता बंद
पुल की व्यवस्था न होने के कारण लोगों को रोजाना मौत के मुंह से गुजरना पड़ रहा है. इसके अलावा घग्गर नदी में बरसाती सीजन में पानी का जलस्तर बढ़ जाता है ओर रास्ता बंद हो जाता है. जिसके कारण उन्हें वाया ओटू होकर रानियां शहर में पहुंचना पड़ता है. जिसके लिए उन्हें 22 किलोमीटर अतिरिक्त सफर करना पड़ता है. इसमें उन्हें समय और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.