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इनेलो-अकाली गठबंधन पर बोले ओपी चौटाला, 'हमारा गठबंधन टूटा ही कहां था' - haryana assembly election

हरियाणा में अकाली दल और इंडियन नेशनल लोकदल के बीच विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो गया है. शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन के बाद इंडियन नेशनल लोकदल में सक्रियता बढ़ गई है. दोनों दलों के फिर एक साथ आने पर इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला का बयान सामने आया है.

इनेलो-अकाली गठबंधन पर बोले ओपी चौटाला

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Published : Oct 4, 2019, 12:03 PM IST

सिरसाः विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरियाणा की सियासत में शिरोमणि अकाली दल और इनेलो के बीच एक बार फिर गठबंधन हो गया है. इनेलो और अकाली के बीच हुए इस गठबंधन पर इनेलो सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का बयान सामने आया है. ओपी चौटाला ने कहा कि अकाली दल के साथ हमारा गठबंधन टूटा कब था जो फिर से जुड़ गया. उन्होंने कहा कि हमारे पारिवारिक रिश्ते हैं और वो बदस्तूर जारी है.

सुखबीर बादल का बयान
इनेलो से गठबंधन टूटने के सवाल पर सुखबीर बादल ने कहा था कि इनेलो से गठजोड़ हमारा पुराना है, हमारा गठबंधन टूटा नहीं था. चौटाला परिवार के साथ हमारे पारिवारिक रिश्ते हैं. वहीं सुखबीर बादल ने भी कहा कि हमने पिछला चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा अभी भी साथ लड़ेंगे. इन चुनावो में भी सभी 90 सीट पर हमारा समर्थन इनेलो को रहेगा. बादल ने कहा कि इन चुनावों में हम बड़ी लीड से जीतेंगे.

इनेलो-अकाली गठबंधन पर बोले ओपी चौटाला

'प्रकाश बादल ने किया किसानों के लिए काम'
ओपी चौटाला ने कहा कि चौधरी देवीलाल के बाद प्रकाश सिंह बादल ने किसान की भलाई के लिए काम किया है. उन्होंने कहा कि ताऊ देवीलाल ने जिस ट्रैक्टर को किसानों के भले के लिए इस्तेमाल किया था. आज पीएम मोदी ने उसी ट्रैक्टर को कमर्शियल बना दिया है और किसानों से उसका टैक्स भी वसूला जा रहा है तो फिर बीजेपी किसानो की हितैषी कैसे हो सकती है. ओम प्रकाश चौटाला आज डबवाली से इनेलो उम्मीदवार सीता राम का नामांकन पत्र दाखिल करवाने के लिए सिरसा में मौजूद थे.

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बीजेपी से टूटा था गठबंधन
हरियाणा में बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं हो पाने के बाद शिरोमणि अकाली दल ने बुधवार को इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठजोड़ कर लिया है. केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी में सहयोगी अकाली दल ने राज्य में बीजेपी से संबंध तोड़ लिये थे. क्योंकि कलांवली से उसके एक मात्र विधायक बलकौर सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया.

2014 के विधानसभा चुनाव भी अकाली दल ने इनेलो के साथ गठबंधन में लड़े थे. बाद में 2017 में सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर दोनों के संबंध टूट गये. बता दें कि अकाली दल ने एकमात्र विधायक के बीजेपी में शामिल होने के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने बलबूते चुनाव लड़ने का फैसला किया था.

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