सिरसा:हरियाणा के किसानों को धान की बिजाई के सीजन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इन किसानों की इस चिंता की मुख्य वजह है लॉकडाउन के दौरान हुए कृषि मजदूरों का पलायन. लाखों की संख्या में बिहार और उत्तरप्रदेश के मजदूर गृह क्षेत्र चले गए हैं.
बिहार एवं उत्तरप्रदेश से आने वाले मजदूर धान की रोपाई में माहिर माने जाते हैं, लेकिन लॉकडाऊन के दौरान ही भारी संख्या में मजदूरों का पलायन हो चुका है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा के करीब 595 शेल्टर होम में 17 हजार प्रवासी मजदूरों को ठहराया हुआ है, लेकिन वो खेतों से काफी दूर हैं, ऐसे में अब किसानों को अपनी खेती बर्बाद होने की चिंता सताने लगी है.
मजदूरों का टोटा, रोपाई-बिजाई हुई महंगी
अगर हरियाणा के सिरसा की बात करें तो यह जिला भी धान की खेती में बड़ा योगदान देता रहा है. पिछले साल करीब 1 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी, लेकिन इस बार मजदूरों की कमी यहां के किसानों को भी खलने लगी है और वो उन मजदूरों से महंगी मजदूरी पर धान की रोपाई करवा रहे हैं, जो इस काम में निपुण नहीं है. उनका कहना है कि यूपी और बिहार के मजदूरों से 4 से 5 हजार रुपये में रोपाई हो जाती थी, लेकिन इस बार दोगुनी मजदूरी लग रही है.
धान की रोपाई के रेट में भी उछाल आने लगी हैं. पिछली बार प्रति एकड़ धान की रोपाई का दाम 3700 से 3900 था. अब यह रेट पांच हजार रुपए तक पहुंच गए हैं. यहां करीब 15 मई से धान की पनीरी तैयार करने का सिलसिला शुरू होता है. 15 जून से रोपाई का काम शुरू हो जाता है. क्योंकि अब राज्य में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी हो गयी है, तो ऐसे में इन मजदूरों की घर वापसी के बाद दोनों ही राज्य में बड़ी संख्या में धान का रकबा कम हो सकता है.