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श्मशान घाट में नहाना, कपड़े धोना और महीनों तक परिवार से दूरी, ऐसी है कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने वालों की कहानी - कोरोना न्यूज सिरसा

कोरोना संक्रमण का दौर सभी के लिए मुश्किलों भरा है, लेकिन जरा सोचिए उन कर्मियों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो जान हथेली पर लेकर कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार करते हैं.

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जानें किन मुश्किलों का सामना करते हैं संक्रमित मृतकों का अंतिम संस्कार करने वाले कर्मी

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Published : May 3, 2021, 4:38 PM IST

Updated : May 3, 2021, 4:47 PM IST

सिरसा: कोरोना महामारी की वजह से होने वाली मौत के बाद शवों का अंतिम संस्कार नगर परिषद अधिकारी करते हैं. सिरसा में भी कोरोना महामारी का विकराल रूप देखने को मिल रहा है. जबकि सैकड़ों मौतें कोरोना के कारण हो चुकी हैं. ऐसे में अंतिम संस्कार करने वाले कर्मियों को किन तकलीफों को सहना पड़ता है ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने नगर परिषद के इन कर्मियों से बातचीत की.

160 से ज्यादा संक्रमित शवों का हुआ संस्कार

सिरसा के शिवपुरी में इन दिनों रोजाना 7 से लेकर 10 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. कोरोना महामारी से बचाव के लिए नगर परिषद के कर्मचारी ही पीपीई किट पहनकर शव का दाह संस्कार करते हैं ताकि मृतक के परिजन कोरोना के चपेट में न आ जाए. अब तक सिरसा की शिवपुरी में नगर परिषद के कर्मचारी 160 से ज्यादा शव का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.

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'पीपीई किट पहनाने से काफी मुश्किलें होती है'

विनोद कुमार दरोगा ने बताया हम पीपीई किट पहनकर मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार करते हैं और परिवार के लोगों की रस्मों के अनुसार ही अंतिम संस्कार किया जाता है. उन्होंने कहा कि पीपीई किट पहन पाना बहुत मुश्किल है. पीपीई किट पहनने से कुछ ही वक्त में काफी परेशानी होने लगती है, फिर भी मृतकों के परिजनों को कोरोना से बचाने के लिए उनकी टीम को अंतिम संस्कार करना पड़ता है.

'इस काम की वजह से परिवार से अलग रहना पड़ता है'

दरोगा ने कहा कि वे अब तक सैकड़ों शव का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी टीम शिवपुरी शमशान घाट में ही नहाती है और अपने कपड़े धोकर ही घर जाते हैं. घर पर भी अपने परिवार से अलग ही रहते हैं और अलग ही सोते है.

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Last Updated : May 3, 2021, 4:47 PM IST

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