सिरसा: 16 मई 2020 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मेरा पानी, मेरी विरासत योजना को लॉन्च किया. मकसद था गिरते भू-जल स्तर को रोकना. इस योजना के तहत सरकार ने किसानों से धान ना लगाने की अपील की. सरकार ने धान की जगह किसानों को मक्का, कपास और दूसरी फसल लगाने को कहा.
कुछ किसानों ने सरकार की इस योजना का विरोध किया तो कुछ किसानों ने बात भी मानी. जिन किसानों ने सरकार की बात मानकर धान की जगह दूसरी फसल लगाई थी. अब उन्होंने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
सरकार की इस योजना के तहत सिरसा में 9 हजार 980 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया. जो करीब 13 हजार हेक्टेयर में फसल उगाते हैं. इन किसानों ने धान की फसल छोड़कर मक्का और कपास की फसल लगाई थी. जो अब खराब मौसम की वजह से खराब हो गई है. क्योंकि ना तो विकल्प वाली फसल के लिए मौसम अनुकूल था और ना ही बीज.
सरकार ने बिना सर्वे के लागू की 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना? अब दिखे दुष्परिणाम इस सीजन सिरसा की करीब 1 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की बिजाई की गई. जिले में 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर में कपास की खेती और बाकी बचे हिस्से में किसानों ने मक्के और सब्जियों की खेती की. अनुकूल मौसम नहीं होने की वजह से किसानों की मक्का, कपास और सब्जियों की फसल खराब हो गई है. मुआवजे की मांग को लेकर अब किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों का मानना है कि सरकार ने बिना रिसर्च किए मेरा पानी, मेरी विरासत योजना का फैसला सुना दिया. किसानों ने इस योजना में सरकार का साथ भी दिया. जिसका खामियाजा उन्हें अब भुगतना पड़ रहा है. किसानों की आर्थिक स्थिति पहले ही कोरोना की वजह से खराब है. अब इस दोहरी मार पर सरकार कब संज्ञान लेती है. इसके लिए शायद इंतजार करना होगा.
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