सिरसा: दुष्कर्म और हत्या के मामले में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फरलो पर 6 फरवरी से जेल से बाहर है. अब खट्टर सरकार ने उसे जेड प्लस सुरक्षा दे दी है. जिसके चलते अब एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में आ गया है. पत्रकार स्व. रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने डेरा प्रमुख को जेड प्लस सुरक्षा दिए जाने पर सवाल उठाए हैं.
अंशुल ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को गैरकानूनी तरीके से हरियाणा सरकार के आदेश पर जेल अथॉरिटी ने उसके बाहर निकाला है. जेल में नियम कानून को ताक पर रखते हुए हार्डकोर क्रिमिनल को सुविधाएं दी गई हैं. जिसको लेकर हरियाणा हाईकोर्ट में एक पिटिशन फाइल की गई थी. जिसके जवाब में सरकार ने बेशर्मी भरा जवाब दिया कि गुरमी राम रहीम सीधे पर कत्ल में शामिल नहीं है, इसलिए हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं आता है.
जेड प्लस सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए अंशुल ने कहा कि सरकार मानती है कि खालिस्तानियों से डेरा सच्चा प्रमुख को खतरा है. तो उसके लिए सबसे सेफ जगह जेल है. उसे जेल से बाहर लाया ही क्यों जा रहा है. अगर लाया भी जा रहा है तो इनती रहमदिली क्यों दिखाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार चाहे जितना कानून को लचीला बना कर उसकी मदद करे. अभी मामला अदालत के अंदर पेंडिंग है, हमें पूरी उम्मीद और भरोसा है न्यायपालिका पर, ऐसे व्यक्ति पर किसी भी तरह की रहमदिली नहीं दिखाएगी.
राम रहीम की फरलो के खिलाफ किसने लगाई याचिका? पंजाब में समाना निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव में 56 साल के निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दलील दी गई कि डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो ऐसे समय में दी गई है, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिका में दलील दी गई कि इससे पंजाब में शांति भंग होने का भय है. याचिका के अनुसार डेरा पंजाब के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव का दावा कर करता रहा है, डेरा प्रमुख की रिहाई से राज्य के विधानसभा चुनावों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.