सिरसाः देश आजाद हुआ और उसके कई सालों बाद 1966 में वजूद में आया हरियाणा. उसके बाद से प्रदेश में हर पार्टी की सरकारें बनी. कई मुख्यमंत्री बदले. हर सरकार ने विकास के दावे किये. मौजूदा सरकार भी घर-घर तक विकास पहुंचाने का दावा कर रही है. लेकिन उनका ये दावा सिरसा के गांव बुढाभाणा में दम तोड़ देता है. ये लोग आजादी के बाद से एक पुल का इंतजार कर रहे हैं. इन्होंने हर सरकार से सिर्फ एक ही मांग की, कि उनके गांव में एक पुल का निर्माण करा दिया जाये. कई बार उन्हें आश्वासन भी मिला लेकिन आज तक पुल नहीं मिला.
समस्या क्या है वो समझिये
दरअसल बुढाभाणा गांव हरियाणा के बॉर्डर पर पड़ता है, अब ज्यादातर कामों के लिए गांव वालों को सिरसा शहर जाना होता है. क्योंकि गांव में उतनी सुविधाएं नहीं हैं ना ही कोई अच्छा स्कूल है इसलिए बच्चों को भी स्कूल जाने के लिए अलग-अलग जगहों का रुख करना पड़ता है. अगर गांव से दूसरा रास्ता लेकर ग्रामीण सिरसा जाते हैं तो उन्हें 25 किमी घूमकर जाना पड़ता है जबकि घग्घर नदी से होकर जाने पर ये दूरी मात्र 10 किमी रह जाती है, लेकिन इस नदी पर पुल नहीं है तो गांव वालों को कश्ती के सहारे नदी पार करनी पड़ती है. कई बार जब नदी में पानी का बहाव ज्यादा होता है तो कश्ती चल पाना मुश्किल हो जाता है और फिर नदी पार नहीं हो पाती है.
कई बच्चों को छोड़ना पड़ा स्कूल
ग्रामीणों के मुताबिक इस रोज-रोज की समस्या से तंग आकर गांव के कई बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया. मेहमान भी इस गांव में आने से बचते हैं. क्योंकि नदी पार करने में हमेशा खतरा बना रहता है, आयेदिन यहां हादसे होते रहते हैं. लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.