सिरसा की एनिमल एन्ड बर्ड्स वेलफेयर को मिला हिमालयन ग्रिफिथ नस्ल का घायल गिद्ध सिरसा: अगर किसी इंसान को कोई चोट लग जाए या फिर वो जख्मी या बीमार हो जाये तो वो अपनी व्यथा अपने परिवार या रिश्तेदारों को या फिर अपने मित्रों को बता सकता है. लेकिन वही बात अगर किसी पशु-पक्षी के साथ हो तो वो अपना दुख किसी को बता भी नहीं सकता. लेकिन कहते हैं कि जिसका कोई नहीं होता उसका खुदा होता है और यही बात सिरसा की एक संस्था चरितार्थ कर रही है.
एनिमल एन्ड बर्ड्स वेलफेयर संस्था पशु पक्षियों के लिए वरदान बनी है. करीब 4 साल पहले शुरू हुई एनिमल एन्ड बर्ड्स वेलफेयर (Animal and Birds Welfare) नाम की ये संस्था चोटिल और बीमार पशु-पक्षियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. इस संस्था के द्वारा हर तरह के पशु-पक्षियों को रेस्क्यू करके यहां लाया जाता है और फिर उसका इलाज किया जाता है. फिर जब पशु पक्षी ठीक हो जाते हैं तो इस संस्था द्वारा खुशियों की दुकान नाम से शहर में किसी भी जगह स्टॉल लगाई जाती है जहां पर इच्छुक व्यक्ति अपनी पसंद के पशु-पक्षी को अडॉप्ट कर सकता है.
पशु पक्षियों के लिए वरदान बनी एनिमल एन्ड बर्ड्स वेलफेयर संस्था शुरुआत में इस संस्था को लोगों का कम रिस्पॉन्स मिला लेकिन इस संस्था के लोगों ने हार नहीं मानी और अब इस संस्था में काफी सारे पशु-पक्षी रेस्क्यू किये जा चुके हैं. अगर बात करें पिछले कुछ समय की तो तकरीबन 40 दिन पहले संस्था द्वारा ग्रिफिथ नस्ल का एक हिमालयन गिद्ध रेस्क्यू किया गया जिसके बाद शहर के लोगों का रुझान इस संस्था की तरफ बढ़ा. अब शहर के लोग संस्था में इस गिद्ध को देखने आते हैं और इसके साथ सेल्फी भी खिंचवाते हैं. साथ ही संस्था को भेंट स्वरूप भी कुछ न कुछ दे जाते हैं.
हिमालयन ग्रिफिथ नस्ल का गिद्ध बना आकर्षण ईटीवी भारत की टीम से खास बातचीत में जसपाल सिंह ने बताया कि तकरीबन 4 साल पहले इस संस्था की शुरुआत की गई. हालांकि शुरुआत में लोगो का सहयोग नहीं मिला लेकिन अभी पिछले दिनों ही संस्था द्वारा एक
हिमालयन ग्रिफिथ नस्ल का गिद्ध (Himalayan griffith vulture) रेस्क्यू किया गया है. जिसको देखने के लिए लोग दुर दूर से आ रहे हैं. जसपाल बताते हैं कि इस गिद्ध की प्रजाति विलुप्ति के कगार पर है इसकी विशेषता है कि ये तकरीबन 38 हजार फ़ीट तक की ऊंचाई तक उड़ सकता है.
एनिमल एन्ड बर्ड्स वेलफेयर संस्था ने बकरियों का भी रेस्क्यू किया है. उन्होंने बताया कि जब ये गिद्ध (Himalayan griffith vulture) पूरी तरह ठीक हो जायेगा तो इसे उस के घर हिमालय की पहाड़ियों में ही छोड़ा जाएगा. हालांकि ये गिद्ध पूरी तरह से मांसाहारी है लेकिन ये सिर्फ मरे हुए गोश्त को ही खाता है, जबकि इस संस्था में उसके साथ अन्य पशु-पक्षी भी रहते हैं. शुरू में ये गिद्ध घायल था लेकिन अब थोड़ा ठीक हो गया है और थोड़ी दूर तक उड़कर खुद ही वापिस भी आ जाता है.
एनिमल एन्ड बर्ड्स वेलफेयर संस्था में चोटिल कुत्ते का इलाज किया जा रहा है. ये भी पढ़ें: जाटों की तुलना भिंडरावाले से करने का मामला: खाप पंचायतों ने यशपाल मलिक के खिलाफ खोला मार्चा
वहीं पशु-पक्षी प्रेमी गुरमीत सिंह ने बताया कि उन्होंने गिद्ध के बारे में काफी कुछ सुना था लेकिन आज खुद को देखने के लिए यहां आए हैं. उन्होंने बताया कि यह प्रजाति विलुप्त होती जा रही है. यह देखने में बहुत सुंदर हैं. इस तरह की संस्थाएं अगर पशु-पक्षियों की सेवा (Animal and Birds Welfare in Sirsa) करती हैं तो काफी अच्छी पहल और सराहनीय कदम है और वह आमजन से अपील करते हैं कि यहां आकर पशु-पक्षियों जो घायल हैं उनकी सहायता के लिए आगे आये. अपने जन्मदिन शादी की सालगिरह या अन्य खुशी के मौके पर यहां आकर इन बेजुबान पशु-पक्षियों की सहायता अवश्य करें.
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