रोहतक: पुलिस कस्टडी में युवक की मौत के मामले में 2 पुलिस कर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलेगा. हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने ये आदेश दिया है. दरअसल काहनौर पुलिस चौकी रोहतक में पुलिस कस्टडी के दौरान मसूदपुर गांव के सत्यनारायण की मौत हो गई थी. इस मामले में 2 पुलिस कर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलेगा. हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने मृतक की पत्नी और भाई की शिकायत के आधार पर वीरवार को ये आदेश दिया. इस आदेश में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की ओर से की गई जांच का हवाला किया गया है.
साथ ही आयोग ने हरियाणा सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) को आदेश दिए हैं कि मृतक के आश्रितों को साढ़े 7 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाए. गौरतलब है कि मसूदपुर गांव के सत्यनारायण की 11 मार्च 2017 को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. सत्यनारायण को झगड़े के मामले में महिला की शिकायत पर काहनौर पुलिस चौकी ले गई थी. काहनौर पुलिस चौकी के एएसआई दिनेश कुमार और हेड कांस्टेबल सतीश कुमार उसे साथ लेकर गए थे. पुलिस चौकी में उसकी मौत हो गई थी. परिजनों ने पुलिस पर कस्टडी में हत्या का आरोप लगाया.
परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद परिजनों ने काहनौर पुलिस चौकी के बाहर धरना भी दिया. 21 मार्च 2017 को कलानौर पुलिस स्टेशन में एएसआई व हेड कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. एसपी रोहतक ने मृतक के परिजनों की शिकायत के आधार पर जांच कराई. जिसमें दोनों पुलिस कर्मियों को क्लीन चिट दे दी गई और जांच रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों पुलिस कर्मियों ने सत्यनारायण के साथ किसी भी प्रकार की मारपीट नहीं की. सत्यनारायण को तो एक महिला की शिकायत के बाद सुरक्षा कारणों के चलते पुलिस चौकी में ले जाया गया था.
एसपी की रिपोर्ट में कहा गया कि सत्यनारायण ने शराब पी रखी थी और पुलिस कर्मियों ने उसके हाथ भी नहीं बांध रखे थे. पुलिस चौकी में जब दोनों पक्षों में समझौता हो गया, तो सत्यनारायण को उसके रिश्तेदारों के हवाले कर दिया गया. जब वह पुलिस चौकी के बाहर गया तो पानी के टैंक के नजदीक नशे की हालत में गिर गया. उसे नजदीक हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां से उसे पीजीआईएमएस रोहतक रेफर कर दिया गया. पीजीआईएमएस में ही उसकी मौत हो गई. एसपी की इसी रिपोर्ट में विसरा और पैथोलॉजी रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया. जिसमें मौत की वजह फेफड़ों व अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत और शराब को बताया गया.
अंत में कहा गया कि मृतक के परिजनों की ओर से लगाए गए आरोप झूठे पाए गए हैं. एसपी की रिपोर्ट के बाद मृतक सत्यनारायण की पत्नी कविता बाई व भाई छत्तर सिंह ने हरियाणा मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर दी. आयोग ने 24 जुलाई 2018 को इस मामले की जांच आयोग के ही जांच निदेशक को करने के आदेश दिए. जांच निदेशक के ऑफिस के इंस्पेक्टर सुरिंद्र सिंह ने 12 सितंबर 2019 को अपनी रिपोर्ट हरियाणा मानवाधिकार आयोग में जमा करा दी. इस रिपोर्ट में भी कहा गया कि मृतक के परिजनों की ओर से पुलिस कस्टडी में मारपीट के आरोप सही नहीं पाए गए.
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया कि दोनों पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज हत्या की एफआईआर की कैंसलेशन रिपोर्ट पहले ही ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के पास जमा की जा चुकी है. ये भी बताया गया कि सत्यनारायण की मौत के संबंध में सीआरपीसी की धारा 176 के तहत अभी मजिस्ट्रियल इन्कवारी अभी लंबित है. मानवाधिकार आयोग ने एसपी रोहतक से मजिस्ट्रियल इन्कवारी की रिपोर्ट मांगी. जिस पर एसपी रोहतक 15 सितंबर 2021 को आयोग को जानकारी दी कि इस मामले की जांच डीएसपी महेश कुमार की ओर से की गई थी. 17 जुलाई 2019 को डीएसपी नारायण की अध्यक्षता में बनी एसआईटी ने विभिन्न गवाहों के बयान दर्ज किए थे.