रोहतक:पूरे प्रदेश में इस बार केवल 7 हजार पराली जलाने के मामले दर्ज हुए हैं. हाल ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल चंडीगढ़ में एक बैठक के दौरान कहा था कि इस बार पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है.
रोहतक में दर्ज 11 मामले
बात अगर रोहतक जिले की करें तो प्रशासन का कहना है कि जिले में केवल 11 मामले दर्ज हुए हैं जो पिछली सालों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
रोहतक के किसान जला रहे पराली, देखें वीडियो रोहतक प्रशासन के दावों की खुली पोल
प्रशासन दावा कर रहा है कि उसने सेटेलाइट की मदद से पूरे जिले पर निगरानी बनाए रखी है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं और प्रशासन सिर्फ हवाई दावे कर रहा है. प्रशासन के इन दावो की पोल खोल रहे हैं गांव मदीना के किसान.
मदीना गांव में पराली जला रहे किसान
मदीना गांव के खेतों मे किसान दिन में ही धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं. इस पराली के अवशेषों का धूआं चारों ओर फैल गया है. इस प्रदूषण के पीछे सिर्फ किसानों को दोष देना ठीक नहीं होगा. इसके पीछे प्रशासन और कंबाइन मशीन बनाने वाली कंपनी दोनों उतने ही जिम्मेदार हैं जितना की एक नासमझ किसान. किसानों को अपनी अगली फसल उगानी है जिसकी वजह से वे जल्दी से अपने खेत की सफाई कर रहे हैं.
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लापता प्रशासनिक अधिकारी
वहीं दूसरी ओर प्रशासन दावा रहा है कि रोहतक में पराली जलान के ज्यादा केस दर्ज नहीं हो रहे हैं. प्रशासन किसानों को जागरूक कर रहे हैं. किसानों पर निगरानी रखने के लिए प्रशासन ने 147 नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, लेकिन ये अधिकारी कहां हैं उनका अता-पता नहीं है. किसान फिर भी पराली जला है. सेटेलाइट भी इन किसानों की निगरानी करने में फेल दिखाई दे रही है.