रोहतक:वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने के लिए अभी तक वैक्सीन नहीं बनी है. दुनियाभर के साइंटिस्ट और डॉक्टर इसी जद्दोजहद में हैं कि जल्द से जल्द कोरोना की वैक्सीन तैयार हो. वहीं कोरोना के इलाज के लिए कुछ अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
रोहतक पीजीआई ने भी भारत के कई अस्पतालों से प्रेरणा लेते हुए प्लाज्मा थेरेपी शुरू करने का फैसला लिया है. इसके लिए अब कोरोना से ठीक हुए लोगों ने आगे आना भी शुरू कर दिया है. खासतौर पर जो युवा कोरोना से ठीक हुए हैं उनमें प्लाज्मा डोनेट करने को लेकर काफी उत्साह है.
रोहतक PGI में कोरोना से ठीक हुए युवा ने किया प्लाज्मा डोनेट, देखें वीडियो शनिवार को एक ऐसा ही युवा रोहतक पीजीआई पहुंचा जो कोरोना वायरस से पीड़ित था, लेकिन अब पूरी तरह से स्वस्थ है. उसने पीजीआई के वरिष्ठ डॉक्टरों की मौजूदगी में प्लाज्मा डोनेट किया. डॉक्टरों ने उसके इस कार्य के लिए प्रशंसा भी की. बता दें कि देशभर के कई अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के बाद परिणाम अच्छे मिले हैं, इसलिए रोहतक पीजीआई ने भी प्लाज्मा थेरेपी को अपनाने का फैसला लिया है.
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रोहतक पीजीआई के डॉक्टरों ने उन कोरोना मरीजों को अपील की है जो ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं. उनका कहना है कि ऐसे लोग दूसरे कोरोना मरीजों के इलाज में काफी मदद कर सकते हैं. अगर ऐसे लोग जो अब कोरोना बीमारी से ठीक हो चुके हैं वो अपना प्लाज्मा डोनेट करेंगे, तो अन्य कोरोना मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी.
कोरोना से ठीक हुए निशांत अरोड़ा का कहना है को वो प्लाज्मा डोनेट करने आए हैं, ताकि दूसरे मरीज भी जल्दी ठीक हो सकें. यही नहीं, उन्होंने लोगो से आग्रह भी किया है कि ज्यादा से ज्यादा लोग कोरोना से ठीक होने के बाद अपना प्लाज्मा डोनेट करें.
क्या है प्लाज्मा थेरेपी ?
प्लाज्मा थेरेपी में ऐसे लोगों से रक्त लिया जाएगा जो कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. कोरोना से ठीक हुए उन्हीं लोगों का सैंपल लिया जाएगा, जिन्हें हाइपरटेंशन, शुगर और कोई अन्य बीमारियां नहीं होगी. एक व्यक्ति से 300 से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जाएगा.
ऐसे व्यक्ति के रक्त से प्लाज्मा लेकर नए मरीज को देने पर डोनर के रक्त में मौजूद एंटीबॉडी मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को न्यूट्रलाइज कर देगी. इस विधि में आधुनिक टेक्नोलॉजी युक्त मशीन से डोनर के शरीर में मौजूद खून से प्लाज्मा बाहर आता है और रेड ब्लड सेल (आरबीसी) व व्हाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) मरीज के शरीर में वापस चले जाते हैं, जिसे प्लाज्मा फेरेसिस कहा जाता है.