रोहतकःमहर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में लड़कियों के हॉस्टल के पीछे पेड़ों को काटे जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. जिसके विरोध में छात्रों ने लामबंद होते हुए पेड़ों की कटाई की रोकने की मांग करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन पर पेड़ों की कटाई में करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है.
वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन वन विभाग की अनुमति और पेड़ों के मूल्यांकन के बाद पेड़ों की कटाई की बात कह रहा है. हालांकि वन विभाग ने अपनी स्वीकृति को नकारते हुए पेड़ों के हाल में मूल्यांकन की बात को भी खारिज किया है.
एमडीयू में पेड़ काटे जाने पर छात्र नाराज़ करोड़ों का हो रहा है घोटाला- छात्र
रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में सफेदे के पेड़ों की कटाई को लेकर छात्र संघ और विश्वविद्यालय प्रशासन आमने-सामने हो गए हैं. जिसको लेकर ये मामला काफी तूल पकड़ता जा रहा है.
छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन पेड़ों को कटवा कर पर्यावरण को खतरे में तो डाल ही रहा है, साथ ही साथ पेड़ों की कटाई का कम कीमत पर ठेका देकर करोड़ों रुपए का घोटाला भी कर रहा है.
छात्रों का आरोप
छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ठेकेदारों के साथ सांठगांठ करके करोड़ों रुपए के वारे न्यारे करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि वो पेड़ों की कटाई को तुरंत रोकने की मांग करते हैं नहीं तो वो आंदोलन पर उतारू हो जाएंगे. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन लगभग 15 से 16 हजार विश्वविद्यालय में लगे सफेदे के पेड़ मनमाने व अवैध तरीके से कटवा रहा है.
ये भी पढ़ेंःरादौर की सड़कें होंगी चकाचक, पूर्व मंत्री ने अधिकारियों से बैठक कर सीएम को लिखा नोट
क्या कहना है विश्वविद्यालय प्रशासन का
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि ये सफेदे के पेड़ हैं और ये फसल की तरह उगाए जाते हैं, अब ये मैच्योर हो गए हैं. ये पेड़ कई साल पहले कट जाने चाहिए थे लेकिन अब ये पेड़ गिरने की स्थिति में पहुंच गए हैं. जिसको लेकर विश्वविद्यालय को काफी नुकसान हो सकता है. जिसको देखते हुए विश्वविद्यालय में वन विभाग की अनुमति लेकर और पेड़ों का मूल्यांकन करवा कर एक प्रक्रिया के तहत इनकी कटाई का ठेका दिया है. उसके उपरांत ही पेड़ काटे जा रहे हैं.
पेड़ काटने की नहीं किसी को अनुमति- वन विभाग
जिला वन विभाग अधिकारी ने बताया कि वन विभाग कभी भी किसी तरह के पेड़ की कटाई की किसी को अनुमति प्रदान नहीं करता है क्योंकि पेड़ पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाए जाते हैं ना कि काटने के लिए.
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि हाल में उनसे महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में किसी प्रकार का किसी भी पेड़ का कोई मूल्यांकन नहीं करवाया है. हां 2015 में उन्होंने पेड़ों का मूल्यांकन करवाया था लेकिन हाल में ना तो उन्होंने अनुमति दी है और ना ही पेड़ों का मूल्यांकन करवाया है.