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खेतों में आग लगाने को मजबूर किसान, सरकार से की उचित पराली व्यवस्था की मांग

पराली जलाने को लेकर लगाए गए आरोपों को हरियाणा के किसानों ने खारिज किया है. किसानों का कहना है कि दिल्ली सरकार उनपर बेबुनियादी आरोप लगा रही है. प्रदूषण फैलाने के मुख्य जिम्मेवार वाहन और पटाखे है.

सरकार से की उचित पराली व्यवस्था की मांग

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Published : Oct 31, 2019, 2:31 PM IST

रोहतकः पराली जलाने को लेकर किसानों पर हो रही कार्रवाई से हरियाणा के किसानों में रोष है. किसानों का कहना है कि अगर पराली जलाने से वातावरण प्रदूषित हो रहा है तो पटाखों पर रोक क्यों नहीं लगाई गई.

किसानों का कहना है कि आखिर वो अपनी पराली को कहां लेकर जाए क्योंकि सरकार के पास इसकी व्यवस्था के लिए कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उनपर इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से गलत है. जिसको लेकर प्रदेश के किसानों ने आज रोहतक सचिवालय पहुंचकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

किसानों ने सरकार से की उचित पराली व्यवस्था की मांग

'किसान नहीं चाहता अपने ही खेतों में आग लगाना'
किसानों ने सरकार से पराली की व्यवस्था करने की गुहार लगाई और प्रदूषण के लिए वाहन, फैक्ट्रियों और पटाखों से निकलने वाले धुएं को जिम्मेदार बताया. साथ ही किसानों ने ओलावृष्टि बेमौसमी बारिश से धान की खराब फसल के मुआवजे और पराली की व्यवस्था करने को लेकर रोहतक जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. इस दौरान नाराज किसानों ने जिला उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. किसानों का कहना है कि सरकार को पराली का समाधान खोजना चाहिए. किसान को अपनी फसल बोने के लिए खेत को तो खाली करना ही है. किसान नहीं चाहता कि वो अपने खेत में आग लगाए.

दिल्ली सरकार पर भड़के किसान!
किसानों का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बेवजह किसानों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. हरियाणा में तो अभी धान की फसल पूरी तरह से कटी भी नहीं है, तो पराली जलाने की बात का आरोप सरासर गलत है. साथ ही उन्होंने कहा कि दिवाली पर जिस तरह से बम पटाखे फोड़े गए, उसी वजह से पूरा वातावरण दूषित हुआ है. किसानों का आरोप है कि दिल्ली में वाहनों और फैक्ट्रियों से जो प्रदूषण हो रहा है, वो मौसम की वजह से ऊपर नहीं जा पा रहा, इस वजह से सारी परेशानी हो रही है.

किसानों की मांग
वहीं पिछले दिनों ओलावृष्टि और बारिश से खराब हुई फसलों को लेकर किसानों ने रोहतक जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. इस दौरान किसानों ने लगभग 60 हजार प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की. उन्होंने कहा कि किसानों ने फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसल का बीमा करवा रखा है. इसलिए सरकार का दायित्व बनता है कि जल्द से जल्द उन्हें खराब फसल का मुआवजा दिया जाए.

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