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रोहतकः बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे विद्यार्थियों ने सरकार की सद्बुद्धि के लिए किया हवन यज्ञ - रोहतक में छात्रों ने किया हवन यज्ञ

रोहतक में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध (Protest against bond policy in rohtak) जारी है. शनिवार को एमबीबीएस छात्रों ने हवन यज्ञ करके सरकारी की सदबद्धि की कामना की. विधार्थियों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती उनका आंदोलन जारी रहेगा.

रोहतक में छात्रों ने किया हवन यज्ञ
रोहतक में बॉन्ड पॉलिसी का विरोध

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Published : Nov 12, 2022, 8:00 PM IST

रोहतक: बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे पीजीआईएमएस रोहतक (Protest against bond policy in rohtak) के एमबीबीएस के विद्यार्थियों ने शनिवार को धरनास्थल पर हवन यज्ञ किया. इस हवन यज्ञ के जरिए प्रदेश सरकार की सद्बुद्धि की कामना की गई. विद्यार्थियों का कहना है कि इस हवन यज्ञ के जरिए प्रदेश सरकार को संदेश दिया गया है कि वह बॉन्ड पॉलिसी को तुरंत प्रभाव से वापस ले अन्यथा इसी प्रकार से आंदोलन जारी रहेगा.

विद्यार्थियों ने कहा कि प्रदेश सरकार बॉन्ड पॉलिसी के जरिए उन्हें शिक्षा के अधिकार से वंचित रखना चाहती है. गौरतलब है कि पीजीआईएमएस में एमबीबीएस विद्यार्थी एक नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. 2 नवंबर से डीन व डायरेक्टर ऑफिस के सामने धरना चल रहा है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात के बाद अब तक समाधान नहीं हुआ है. हालांकि सरकार ने बॉन्ड पॉलिसी में कुछ संशोधन किया है लेकिन यह संशोधन विद्यार्थियों को मंजूर नहीं है.

प्रदेश सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में विरोध हो रहा है. एक नवंबर से पीजीआईएमएस रोहतक में आंदोलन की शुरूआत हुई थी. इस आंदोलन में वर्ष 2020 व वर्ष 2021 बैच के विद्यार्थी शामिल हैं. 4 नवंबर की रात को पुलिस प्रशासन ने धरना दे रहे विद्यार्थियों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल करते हुए जबरन उठा दिया था. अगले दिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से विद्यार्थियों की मुलाकात कराई गई लेकिन मुख्यमंत्री ने बॉन्ड पालिसी रद्द करने से इंकार कर दिया. बॉन्ड पॉलिसी का ज्यादा विरोध हुआ तो सरकार ने इसमें कुछ संशोधन कर दिया लेकिन धरना दे रहे विद्यार्थियों ने इस संशोधन को भी मानने से इंकार कर दिया.

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दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 7 साल के लिए 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी. एमबीबीएस छात्र इसी का विरोध कर रहे हैं. 40 लाख के हिसाब से छात्रों को हर साल 10 लाख का बॉन्ड भरना होगा.

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