रोहतक: कोरोना महामारी के बीच रोहतक में पिछले दो हफ्ते में करीब 7 बार भूकंप आ चुका है. भूकंप को देखते हुए राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र लगातार नजर बनाए हुए है. इस पर अध्ययन करने के लिए सोमवार को सांपला में एक और भूकंप सूचक यंत्र लगाया गया. इससे पहले करौंथा गांव में और लघु सचिवालय में भी एक-एक भूकंप सूचक यंत्र लगाया गया था. इस बारे में आपदा प्रबंधन के जिला समन्वयक सौरभ धीमान ने बताया कि लघु सचिवालय में लगा यंत्र तकनीकी खामी के कारण बदलकर कहीं दूसरे गांव में शिफ्ट किया जाएगा. उसका जीपीएस काम नहीं कर रहा है.
वहीं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ. जेएल गौतम का कहना है कि भूकंप आने का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता, भूकंप आने के बाद ही उस पर अध्ययन होता है. रोहतक में आ रहे भूकंपों पर भी अध्ययन जारी है. इसके लिए रोहतक क्षेत्र में भूकंप सूचक यंत्रों की भी संख्या बढ़ाई जा रही है. इन दिनों तीन दिल्ली के आसपास और तीन रोहतक के आसपास भूकंप सूचक यंत्र लगाए गए हैं.
रोहतक में कैसे आया भूकंप?
डॉ. जेएल गौतम ने बताया कि धरती टेक्टोनिक्स प्लेटों पर टीकी हुई है. इतनी बड़ी-बड़ी प्लेटों में कई जगह फॉल्ट लाइन (जमीन के अंदर की दरारें) या फिर रिज (जमीन के अंदर उभरा हुआ क्षेत्र) होती है. जब बड़ी प्लेट हिलती हैं, तो उसमें मौजूद रिज और फॉल्ट लाइन में भी हलचल हो सकती है. भारत इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट पर टीका है. युरेशियन टेक्टोनिक प्लेट के इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट के साथ टकराव होने से हिमालय क्षेत्र प्रभावित होने के साथ-साथ इन प्लेटों में मौजूद दरारें भी प्रभावित होती हैं. इन प्लेटों की हलचल से ही रोहतक के पास से गुजर रही महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन (जमीन के अंदर की दरारें) सक्रिय हुई. इसी कारण इन दिनों रोहतक में भूकंप आए.