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रोहतकः लेह लद्दाख में शहीद हुए सेना के जवान का सुनारिया कलां में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

लेह लद्दाख में बर्फबारी की वजह से शहीद हुए भारतीय सेना के जवान जोगेंद्र सिंह का वीरवार को अंतिम संस्कार (Last rites of Martyr Jogendra Singh in Rohtak) किया गया. शहीद जोगेंद्र सिंह को सैंकड़ों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी.

Last rites of Martyr Jogendra Singh in Rohtak
गांव सुनारिया कलां में शहीद का अंतिम संस्कार

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Published : Dec 29, 2022, 7:59 PM IST

गांव सुनारिया कलां में शहीद का अंतिम संस्कार

रोहतक: लेह लद्दाख में बर्फबारी की (Martyred due to snowfall in Leh Ladakh) वजह से शहीद हुए भारतीय सेना के जवान जोगेंद्र सिंह का वीरवार को रोहतक के पैतृक गांव सुनारिया कलां में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया (Last rites of Martyr Jogendra Singh in Rohtak) गया. इस दौरान ग्रामीणों ने जोगेंद्र सिंह अमर रहें और जब तक सूरज चांद रहेगा, जोगेंद्र तेरा नाम रहेगा, के नारे लगाए.

भारतीय सेना की 15 जाट रेजीमेंट में हवलदार जोगेंद्र सिंह की तैनाती जम्मू कश्मीर के लेह लद्दाख में थी. 15 दिसंबर को बर्फबारी के दौरान अचानक ही उनकी तबीयत खराब हो गई. इसके बाद सेना के हेलीकॉप्टर के जरिए उन्हें इलाज के लिए चंडीगढ़ के कमांड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ और बुधवार को उनका देहांत हो गया.

शहीद को अंतिम विदाई

इसके बाद वीरवार सुबह पूरे सैन्य सम्मान के साथ जोगेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर रोहतक के सुनारिया कलां गांव में लाया गया. भारतीय सेना की टुकड़ी ने (Martyr cremated with military honors) उन्हें सलामी दी. जोगेंद्र सिंह की शहादत पर परिजनों और ग्रामीणों को नाज है. जोगेंद्र के परिवार में पत्नी सुशीला देवी और उनके दो बच्चे हैं. परिजनों का कहना है कि वे बेटे को भी देश सेवा के लिए सेना में भेजेंगे.

सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार

रोहतक जिला प्रशासन की ओर से सिटी मजिस्टेªट मोहित महराना ने शहीद जोगेंद्र सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किए. उन्होंने कहा कि सरकार की पॉलिसी के अनुसार शहीद के परिवार को पूरा सहयोग दिया जाएगा. 15 जाट रेजीमेंट के मेजर अनिल कुमार ने कहा कि जोगेंद्र सिंह बहुत ही मेहनती और होनहार सैनिक थे.

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उन्होंने बताया कि बर्फबारी की वजह से उनके पेट में दिक्कत शुरू हुई थी. इसके बाद इलाज के लिए चंडीगढ़ के कमांड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया लेकिन कई दिन तक चले इलाज के बावजूद उन्होंने दम तोड़ दिया. शहीद की पत्नी सुशीला देवी व बेटी मीनू ने कहा कि उन्हें शहादत पर नाज है.

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