रोहतक: वक्त के साथ भले ही हमारे तौर तरीके क्यों ना बदल जाएं, लेकिन आज भी परंपराएं जिंदा हैं. जिसकी झलक किसी भी त्योहार में साफ तौर पर देखी जा सकती है. हरियाणा में जिस तरह की संस्कृति और परंपरा त्योहारों में देखने को मिलती है, शायद ही किसी दूसरे प्रांत में ऐसी छटा दिखने को मिलती होगी.
वैसे तो हरियाणा में अलग-अलग तरीके से होली खेली और मनाई जाती है, लेकिन हरियाणा में सबसे ज्यादा ध्यान जो अपनी ओर आकृषित करती है, वो है कोरड़ा मार होली. ये होली खास तौर पर देवर और उनकी भाभियों द्वारा बनाई जाती है.
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कोरड़ा मार होली में भाभियां कोरड़ा से जमकर देवरों की पिटाई करती हैं और इस दौरान देवर भाभी से बचने की कोशिश करते हैं. इसके बाद शाम को देवर अपनी भाभियों को मिठाई खिलाकर परंपरा को जीवित रखते हैं. हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते सार्वजनिक स्थानों पर होली खेलने पर सख्त पाबंदी है, लेकिन सदियों पुरानी परंपरा के चलते हरियाणा के गांवों में आज भी बड़ी शान से कोरड़ा मार होली खेली जाती है.
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होली के दिन महिलाएं कपड़े का कोरड़ा बनाकर अपने देवरो की धुलाई करती हैं, जबकि पुरुष डंडों ओर पानी से अपना बचाव करते हैं. महिलाओं का कहना है कि ये भाईचारे का प्रतीक है. इस दिन लोग मनमुटाव भूलकर होली खेलते हैं.